बार काउंसिल ऑफ दिल्ली ने वकीलों के दिल्ली से बाहर आने जाने की अनुमति के लिए दिल्ली हाईकोर्ट में याचिका दाखिल की
वकीलों के इंटर स्टेट आवाजाही की अनुमति की मांग करते हुए बार काउंसिल ऑफ दिल्ली (बीसीडी) ने दिल्ली हाईकोर्ट के समक्ष एक याचिका दाखिल की। इसमें अदालत से निर्देशों की मांग की गई कि वकीलों को अदालतों और कार्यालयों में जाने के लिए दिल्ली से बाहर जाने की अनुमति दी जाए।
बीसीडी चेयरमैन केसी मित्तल के माध्यम से दायर याचिका में हरियाणा और उत्तर प्रदेश के साथ दिल्ली की सीमा को सील करने के फैसले को चुनौती दी गई है, जिससे एनसीआर क्षेत्र में रहने वाले वकीलों के लिए दिल्ली में स्थित अदालतों और उनके कार्यालयों का उपयोग करना असंभव हो गया है।
यह देखते हुए कि हाल ही के गृहमंत्रालय के दिशानिर्देशों ने निजी कार्यालयों को सीमित क्षमता के साथ काम करने की अनुमति दी है, याचिका दिल्ली सरकार द्वारा 08 मई को जारी एक बयान का हवाला देती है, जिसमें कहा गया है कि चार्टर्ड एकाउंटेंट और अधिवक्ताओं को अपने कार्यालयों में जाने से रोका नहीं जाएगा।
याचिका में कहा गया है कि जब दिल्ली के निवासियों को अपने कार्यालयों तक पहुंचने की अनुमति दी जाती है, तो एनसीआर क्षेत्र में रहने वाले वकीलों को क्यों वंचित किया जाना चाहिए।
याचिका में आगे कहा गया है कि:
,"अधिवक्ताओं को उत्तरदाता 2 (यूपी सरकार) और 3 (हरियाणा सरकार) के अधिकारियों द्वारा राज्य की सीमा पार करने नहीं देना संविधान के अनुच्छेद 19 (1) (डी) (आने जाने की स्वतंत्रता का अधिकार) और 301 (व्यापार और वाणिज्य की स्वतंत्रता) के तहत मौलिक अधिकारों के उल्लंघन में है और उनकी कार्रवाई अत्यधिक मनमानी और गैरकानूनी है।"
अधिवक्ता अमित प्रकाश साहनी के माध्यम से दायर याचिका में दावा किया गया है कि यूपी और हरियाणा के विभिन्न हिस्सों में रहने वाले वकीलों को अपने कार्यालय संचालित करने और अपने आधिकारिक कर्तव्यों को निभाने के लिए दिल्ली से बाहर जाने से नहीं रोका जा सकता।
इसलिए, याचिका उत्तरदाताओं को अपने बार काउंसिल के पहचान पत्र पेश करने पर दिल्ली के भीतर और बाहर वकीलों की आवाजाही की अनुमति देने के लिए निर्देश दे।
हाल ही में, दिल्ली हाई कोर्ट बार एसोसिएशन ने एनसीआर क्षेत्र के अधिवक्ताओं को दिल्ली की सीमा पार करने की अनुमति देने के लिए दिल्ली उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश को एक पत्र भी लिखा था।