किसी सम्मेलन पर प्रतिबंध की बात सभी धर्मों पर बिना किसी अपवाद के लागू होती है; कर्नाटक हाईकोर्ट ने सरकार को बेंगलुरु करगा उत्सव को रोकने का निर्देश दिया

Update: 2020-04-11 02:15 GMT

अंग्रेज़ी अख़बार टाइम्ज़ ऑफ़ इंडिया में छपी खबर पर गंभीरता से संज्ञान लेते हुए कर्नाटक हाईकोर्ट ने राज्य सरकार से ऐतिहासिक बेंगलुरु करगा उत्सव को COVID-19 महामारी को देखते हुए रोकने का निर्देश दिया है। अख़बार ने खबर छापी थी कि सरकार इस उत्सव को मनाने की अनुमति दे दी है।

खंडपीठ ने अपने फैसले में कहा कि 24 मार्च को केंद्रीय गृह मंत्रालय ने जो दिशा निर्देश जारी किया था उसके अनुसार सभी तरह के पूजा स्थल को बंद कर दिया गया है और सभी तरह के धार्मिक सभाओं पर बिना किसी अपवाद के पाबंदियां लगा दी गई हैं। इनके अलावा, सभी तरह के सामाजिक, राजनीतिक, खेल, मनोरंजन, अकादमिक, सांस्कृतिक और धार्मिक सभाओं के आयोजनों पर रोक लगा दी गई हैं। अदालत ने राज्य सरकार को निर्देश दिया कि वह इन दिशा निर्देशों को पूरी ईमानदारी से लागू करे।

हाईकोर्ट ने कहा, "लॉकडाउन और धारा 144 लागू करने का उद्देश्य है भारी संख्या में लोगों को एक जगह जमा होने से रोकना। यहां यह बताने की ज़रूरत नहीं है कि भारी संख्या में एक जगह लोगों के जमा होने से कोरोना वायरस को फैलने में मदद मिलेगी।"

अदालत ने सख़्त रवैया अपनाते हुए कहा,

"...इस उत्सव को मनाने के लिए भारी संख्या में लोग जमा होंगे। सुनवाई के दौरान एक वक़ील ने कहा कि सैकड़ों की संख्या में श्रद्धालु इस उत्सव में भाग लेने के लिए पहले ही शहर में आ चुके हैं …राज्य सरकार को इन दोनों ही दिशानिर्देशों के उल्लंघन की किसी भी क़ीमत पर अनुमति नहीं देनी चाहिए और क़ानून को लागू करनेवाली एजेंसियों को चाहिए अगर इसका उल्लंघन होता है तो वे इसके ख़िलाफ़ कड़ी कार्रवाई करें।" 

अतिरिक्त महाधिवक्ता ने कहा कि राज्य सरकार या शहर के पुलिस आयुक्त ने इस तरह की अनुमति अभी नहीं दी है और टाइम्ज़ ऑफ़ इंडिया अख़बार ने ग़लत खबर छापी है।

लेकिन हाईकोर्ट ने फिर कहा कि "हम यह स्पष्ट कर देना चाहते हैं कि (दिशानिर्देश) यह बिना किसी अपवाद के सभी धर्मों पर लागू होता है।" 

इसी आदेश के तहत मुख्य न्यायाधीश की अध्यक्षता वाली पीठ ने बृहत् बेंगलुरु महानगर पालिके (बीबीएमपी) को प्रवासी मज़दूरों कि लिए आश्रय के साथ साथ हर तरह की सुविधा उपलब्ध कराने को कहा।

अदालत ने कहा, "बीबीएमपी के अधिकारी कनफेडरेशन ऑफ़ रियल एस्टेट डेवलपर्स एसोसिएशन ऑफ़ इंडिया (सीआरईडीएआई) से वे संपर्क कर सकते हैं जो रियल एस्टेट बिज़नेस से जुड़े हैं।

अदालत ने अंततः शहर की गलियों में प्रवासियों के अलावा अन्य आश्रयहीन और अटके हुए लोगों को भी इस दिशानिर्देश के तहत लाने की बात कही।

मंगलवार को सुप्रीम कोर्ट ने असंगठित क्षेत्रों के प्रवासी कामगारों को उनका वेतन दिलाए जाने के बारे में दायर जनहित याचिका पर किसी भी तरह का आदेश देने से इंकार कर दिया था और कहा था कि नीतिगत मामले सरकार के तहत आते हैं। मुख्य न्यायाधीश एसए बोबडे की अध्यक्षता वाली पीठ ने कहा कि हम सरकार की सोच पर किसी तरह की पाबंदी नहीं लगाना चाहते।



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