एटा में वकील पर हमला: हाईकोर्ट बार एसोसिएशन, इलाहाबाद ने इलाहाबाद हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश को पत्र लिखकर मामले में स्वतः संज्ञान लेने की मांग की
हाल ही में उत्तर प्रदेश के एटा जिले में घटी घटना को गंभीरता से लेते हुए हाईकोर्ट बार एसोसिएशन, इलाहाबाद ने रविवार (27 दिसंबर) को एक पत्र लिख कर इलाहाबाद उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश से मामले में "स्वतः संज्ञान" लेने का अनुरोध किया है।
उल्लेखनीय है कि पुलिस ने एटा में एक घर का दरवाजा तोड़कर एक वकील (जो एडवोकेट की पोशाक में था) को घसीटा, घर के बाहर खींच लिया और उसके साथ बेरहमी से मारपीट की। इस घटना का वीडियो हाल ही में वायरल हुआ था।
हाई कोर्ट बार एसोसिएशन, इलाहाबाद के महासचिव, प्रभा शंकर मिश्रा की ओर से जारी किये गए पत्र में इलाहाबाद उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश को संबोधित करते हुए यह कहा गया है कि,
"जिस प्रकार से प्रशासन एवं पुलिस द्वारा अधिवक्ता एवं उसके परिवार को निर्दयता पूर्वक बर्बता से मारा पीटा गया गया इससे अधिवक्ता समुदाय की भावनाओं को एवं पेशे के प्रति लोगों में दुखद अनुभूति का अनुभव हो रहा है और ऐसा प्रतीत हो रहा है कि अधिवक्ता समुदाय समाज का सबसे उपेक्षित प्राणी है।"
पत्र में आगे यह कहा गया है कि,
"जिस ढंग से कानून का गला घोंटा गया तथा संवैधानिक मर्यादा को तार तार किया गया उससे अपने आपको अधिवक्ता कहने में शर्म आ रही है।"
यह कहते हुए कि,
"इस घटना को लेकर अधिवक्ता समुदाय बहुत आक्रोशित है और सबकी नजरें न्यायालय पर टिकी हैं", पत्र में मुख्य न्यायाधीश, इलाहाबाद हाईकोर्ट से विनम्र निवेदन करते हुए यह मांग की गयी है कि "उक्त घटना का स्वतः संज्ञान लेते हुए प्रदेश की कानून व्यवस्था बनाये रखने के लिए उचित आदेश पारित करने का कष्ट किया जाए।"
गौरतलब है कि इससे पहले बार काउंसिल ऑफ इंडिया ने प्रेस विज्ञप्ति जारी कर भारत के मुख्य न्यायाधीश और इलाहाबाद उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश से "तत्काल कदम" उठाने का अनुरोध किया है। विज्ञप्ति में दोषी पुलिस कर्मियों का पता लगाने और उत्तर प्रदेश सरकार को उन्हें तत्काल निलंबित करने, स्थानांतरित करने और उन्हें सेवा से हटाने के लिए निर्देश जारी करने का निर्देश देने का आग्रह किया गया है।
यह कहते हुए कि,
"उत्तर प्रदेश पुलिस के ऐसे अत्याचारों की कोई सीमा नहीं है और इसने सभी हदें पार कर दी हैं।"
प्रेस विज्ञप्ति में कहा गया है कि,
पश्चिम बंगाल, बिहार और लगभग सभी राज्यों में इसी तरह की घटनाओं को देखा गया है और पुलिस की ऐसी कार्रवाई किसी भी कठोर अपराधी द्वारा किए गए अपराध से भी बदतर है।"
प्रेस विज्ञप्ति में आगे कहा गया है,
"उत्तर प्रदेश की पुलिस का कृत्य चौंकाने वाला है, कानून और व्यवस्था के संरक्षकों से यह उम्मीद नहीं की जा सकती है। पुलिसकर्मियों की क्रूरता स्पष्ट रूप से दिखाती है कि वे किसी योजना के साथ काम कर रहे थे और उनका मकसद कुछ और था।"
सीजेआई और इलाहाबाद उच्च न्यायालय के सीजे द्वारा कार्रवाई करने का अनुरोध करते हुए बीसीआई ने यह भी कहा कि इसके अनुरोध पर उत्तर प्रदेश सरकार ने विचार नहीं किया है।
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