कार की बॉडी पर कलाकृति (artwork) होने के कारण उसे पंजीकृत करने से इनकार नहीं किया जा सकता : पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट

Update: 2020-07-15 08:39 GMT

पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट ने मंगलवार (14 जुलाई) को एक मामले में यह तय किया कि केवल इस आधार पर वाहन को पंजीकृत करने से इनकार नहीं किया जा सकता है कि वाहन की बॉडी पर कलाकृति (artwork) का काम हुआ है, जबकि बॉडी का आधार सफेद ही है, यह तर्क के विरुद्ध भी है।

न्यायमूर्ति जयश्री ठाकुर ने यह आदेश उस मामले में दिया जिसमे याचिकाकर्ता द्वारा अदालत के समक्ष रिट याचिका दायर करते हुए उत्तरदाताओं को उनके वाहन [एम्बेसडर ग्रैंड हरित-सी -1800 (BSIII), 2009)] को उनके नाम पर पंजीकृत करने के लिए परमादेश की प्रकृति में आदेश जारी करने की मांग की गयी थी।

क्या था यह मामला?

याचिकाकर्ता ने वर्ष 2019 के जुलाई माह में दिल्ली में तैनात यूरोपीय संघ के काउंसिलर से यह वाहन [एम्बेसडर ग्रैंड हरित-सी -1800 (BSIII), 2009)] खरीदा, और इसे चंडीगढ़ में 2019 अगस्त महीने में प्राप्त किया। याचिकाकर्ता ने दिल्ली में पंजीकृत अधिकारियों से 'नो ऑब्जेक्शन प्रमाणपत्र' प्राप्त किया और वाहन को खरीदने से पहले सभी औपचारिकताओं को भी पूरा किया। दिल्ली से इस वाहन को खरीदने का कारण, प्रसिद्ध मैक्सिकन कलाकार 'Senkoe' द्वारा कार के बॉडी पर की गई कलाकृति थी।

इसके बाद याचिकाकर्ता ने सभी आवश्यक दस्तावेजों के साथ वाहन के अपने नाम पर पंजीकरण के लिए चंडीगढ़ में प्राधिकरण को आवेदन किया। चूंकि पंजीकरण मंजूर नहीं किया गया, इसलिए याचिकाकर्ता ने अधिकारियों को प्रतिनिधित्व दिया, लेकिन कोई फायदा नहीं हुआ, जिसके चलते याचिकाकर्ता ने हाईकोर्ट के समक्ष रिट याचिका दायर करने की आवश्यकता समझी।

याचिकाकर्ता की दलील

याचिकाकर्ता की ओर से यह दलील दी गयी कि कार को दिल्ली से चंडीगढ़ स्थानांतरित करने और याचिकाकर्ता के नाम पर वाहन का पंजीकरण किए बिना, उक्त वाहन का बीमा नहीं किया जा सकता है और न ही इसे सड़क पर चलाया जा सकता और इसके चलते वाहन की उपयोगिता समाप्त हो जाएगी।

यह तर्क दिया गया कि उत्तरदाताओं द्वारा पंजीकरण से इनकार करने के लिए एकमात्र स्पष्टीकरण यह दिया गया है कि उत्तरदाताओं ने एक राय बनाई है कि कार का रंग 'सफ़ेद' से 'मल्टीकलर' (रंगीन) में बदल दिया गया है।

यह भी तर्क दिया गया कि वाहन का रंग नहीं बदला गया है और उसका आधार अभी भी वही है। कार की बॉडी को आंशिक रूप से चित्रित किया गया है। ऐसी कारें बिना किसी बाधा के दिल्ली में चल रही हैं।

उत्तरदाता की दलील

उत्तरदाता चंडीगढ़ प्रशासन की ओर से यह दलील दी गयी कि प्रतिवादी प्रशासन ने वाहन को पंजीकृत करने से इनकार नहीं किया है, जैसा कि मोटर वाहन अधिनियम 1988 की धारा 45 (संक्षेप में 1988 का अधिनियम) के तहत विचार किया गया है इसलिए रिट याचिका बनाये रखने योग्य नहीं है।

उनके द्वारा यह भी कहा गया कि वाहन का निरीक्षण 10-अगस्त-2019 को किया गया था, हालांकि निरीक्षक ने उक्त वाहन को पास करने से मना कर दिया था क्योंकि मूल वाहन का रंग सफेद से रंगीन (Multicolor) में बदल दिया गया था।

आगे यह तर्क दिया गया कि याचिकाकर्ता ने वाहन का गलत विवरण देते हुए वाहन के रंग को 'सफेद' के रूप में उल्लेखित किया था, जबकि वाहन चित्रित था। यह तर्क दिया गया कि किसी भी वाहन को इस प्रकार नहीं बदला जा सकता है कि वाहन निर्माता द्वारा तैयार मूल-स्वरुप में बदलाव किया जा सके, जो तत्काल मामले में वाहन का रंग है।

उनका यह भी तर्क था कि पंजीकरण का प्रमाणपत्र, चेसिस नंबर आदि के साथ वाहनों का विवरण देता है, और रंग का विवरण 'सफेद' है। इसलिए, एक परिवर्तन हुआ है (वाहन पर कलाकृति हुई है), जिसने निर्माता द्वारा किए गए मूल स्वरुप को बदल दिया।

अदालत का मत

अदालत ने स्पष्ट किया कि उत्तरदाताओं ने लिखित बयान में एक स्पष्ट स्टैंड लिया है कि पंजीकरण की अनुमति नहीं दी जा सकती, क्योंकि याचिकाकर्ता ने वाहन का रंग 'व्हाइट' (सफ़ेद) से बदलकर 'मल्टीकलर' (रंगीन) कर दिया है। इस तरह के रुख के साथ, यह नहीं कहा जा सकता कि रिट याचिका बरकरार नहीं रखी जा सकती है।

आगे, अदालत ने इस प्रश्न का निर्धारण किया कि क्या उत्तरदाताओं को मुख्य रूप से इस आधार पर वाहन को पंजीकृत करने से मना करने के लिए उचित ठहराया जा सकता है कि वाहन के रंग को 'व्हाइट' से बदलकर 'मल्टीकलर' कर दिया गया है।

इसके लिए, अदालत ने मोटर वाहन अधिनियम 1988 की धारा 45 पर गौर किया। दरअसल, इस धारा में उन शर्तों को शामिल किया गया है, जब अधिकारी, वाहन को पंजीकृत करने से इनकार कर सकते हैं या पंजीकरण के प्रमाण पत्र को रिन्यू करने से मना कर सकते हैं।

गौरतलब है कि यह धारा यह कहती है कि अधिकारी वाहन को पंजीकृत करने से इनकार कर सकते हैं या पंजीकरण के प्रमाणपत्र को नवीनीकृत करने से उस दशा में मना कर सकते हैं, यदि उनके पास यह विश्वास करने का कारण है कि मोटर वाहन चोरी किया हुआ है या यदि उसमें यांत्रिक दोष (mechanical defect) है या वह 1988 के उक्त अधिनियम या उसके तहत बनाए गए नियम की आवश्यकताओं की पूर्ति करने में विफल रहता है या यदि आवेदक वाहन के किसी पिछले पंजीकरण के विवरण प्रस्तुत करने में विफल रहता है या पंजीकरण के लिए आवेदन पत्र में गलत विवरण प्रस्तुत करता है।

इसके पश्च्यात, अदालत ने 1988 के अधिनियम की धारा 52, जोकि एक मोटर वाहन के परिवर्तन से संबंधित प्रावधान है, पर जोर दिया। दरअसल, मोटर वाहन अधिनियम एक वाहन मालिक को अधिनियम की धारा 52 (1) के तहत निर्धारित किए गए मानकों के अनुसार इंजन को बदलने या संशोधित करने की अनुमति देता है। अधिनियम की धारा 52 (1) के अंतर्गत प्रदूषण को कम करने की आवश्यकता को ध्यान में रखते हुए इस परिवर्तन की अनुमति दी गई है।

हाईकोर्ट द्वारा रीजनल ट्रांसपोर्ट ऑफिसर एवं अन्य बनाम के. जयचंद्र एवं अन्य (2019) 3 SCC 722 के मामले को संदर्भित करते हुए कहा गया कि एक मोटर वाहन को इस हद तक नहीं बदला जा सकता है कि पंजीकरण के प्रमाण पत्र में निहित विशिष्टताओं से अलग हो जाए। इसके अलावा, धारा 52 की व्याख्या स्पष्ट रूप से यह बताती है कि "परिवर्तन" (alteration) का अर्थ, वाहन की संरचना (Structure) में परिवर्तन से है, जिसके परिणामस्वरूप इसकी मूल विशेषता (basic feature) में परिवर्तन होता है।

अदालत ने मामले में साफ़ तौर पर देखा कि एक्ट की धारा 45 के अनुसार, उत्तरदाता वाहन को पंजीकृत करने से इनकार कर सकता है। हालांकि, इस वाहन में न तो यांत्रिक दोष (mechanical defect) है और न ही यह चोरी किया गया है। वाहन के पिछले पंजीकरण के सभी विवरणों को एनओसी के साथ सौंपा गया है।

अदालत ने रास्ते में चलने वाली ट्रक, कार और बसों का उदाहरण देते हुए कहा कि,

"कोई भी व्यक्ति जो जीटी रोड पर ड्राइव करता है, वह जम्मू-कश्मीर से कन्याकुमारी तक सड़क पर चलने वाले ट्रकों के पीछे/सामने नारे, कोटेशन, रंगीन पेंट जॉब देख सकता है। कुछ मानक कोटेशन हैं, "ओके टाटा", "हॉर्न प्लीज" "हम दो हमारे दो", "मेरा भारत महान", "रात में डिपर का उपयोग करें" आदि। ट्रकों को किसी पैनल या अन्य पर की गई कलाकृति से खूबसूरती से सजाया जाता है। बम्पर स्टिकर कारों पर लगाए जाते हैं, स्टिकर जो कार में एक बच्चे की तस्वीर दिखाते हैं, जिसपर लिखा होता है कि "बेबी ऑन बोर्ड" नियमित रूप से देखा जा सकता है। इसके अलावा, विज्ञापनों को बस पर चित्रित किया जाता है, लेकिन इस तरह के कला कार्य का अर्थ यह नहीं होगा कि या तो वाहन का मूल रंग बदल दिया गया है, या इसे किसी भी फैशन में बदल दिया गया है।"

अदालत ने आगे कहा कि,

"(इस) वाहन को किसी भी परिवर्तन के अधीन नहीं किया गया है, जिसने इसकी बुनियादी संरचना को बदल दिया हो, और न ही इसकी किसी भी बुनियादी फीचर में कोई बदलाव किया गया है।... वाहन, जो एक Ambassador कार है, को चित्रित किया गया है। कार के बेस कलर में कोई बदलाव नहीं हुआ है, जोकि 'सफ़ेद' है। इसमें कोई संदेह नहीं कि इस पर किया गया कला का काम रंगीन है, लेकिन क्या इसने कार की मूल संरचना को बदल दिया है या वाहन को किसी भी तरह से बदल दिया गया है जिसकी अनुमति अधिनियम की धारा 52 के अंतर्गत नहीं है? उत्तर नकारात्मक में है।"

अदालत ने आगे यह भी कहा कि,

"केवल इस आधार पर पंजीकरण से इनकार करना कि वाहन की बॉडी पर कला का काम हुआ है, जबकि उसका आधार सफ़ेद रहता है, तर्क को धता बताता है। कोई भी वाजिब व्यक्ति आसानी से यह पता लगा सकता है कि एक व्हाइट कार के ऊपर कुछ कला का काम हुआ है। फूलों के स्प्रे के साथ एक कैनवास की तरह। कैनवास का आधार रंग वैसा ही रहेगा जैसा है। इंस्पेक्टर ने एक मनमाने और पूरी तरह से ग़लत तरीके से काम किया है, जिससे याचिकाकर्ता का अनुचित उत्पीड़न हुआ है।"

अंत में उत्तरदाताओं को 2 हफ्ते के भीतर वाहन को पंजीकृत करने का निर्देश दिया गया (यदि वाहन के अन्य कागजात पूरे हों) और यदि ऐसे किसी भी दस्तावेज की कमी होती है तो याचिकाकर्ता को उसे प्रस्तुत करने का उचित समय दिए जाने का आदेश भी दिया गया।

केस विवरण

केस नंबर: CWP No. 22025 of 2019

केस शीर्षक: रंजीत मल्होत्रा बनाम यूनियन टेरिटरी चंडीगढ़ एवं अन्य

कोरम: न्यायमूर्ति जयश्री ठाकुर 

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