कानून लागू करना मैथमेटिक्स थ्योरम को हल करने के समान नहीं है, कानूनी निर्णय लोगों के जीवन को प्रभावित करते हैं: दिल्ली हाईकोर्ट

Update: 2023-09-13 06:03 GMT

दिल्ली हाईकोर्ट ने कहा है कि कानून लागू करना गणितीय प्रमेय (Maths Theorem) को हल करने के समान नहीं है, इसे अलग से नहीं किया जा सकता है।

जस्टिस रजनीश भटनागर ने कहा,

“ चूंकि राज्य के लोग इन कानूनी निर्णयों से प्रभावित होते हैं, इसलिए कानून के कठोर और गणितीय अनुप्रयोग (mathematical application) से विनाशकारी परिणाम हो सकते हैं। उदाहरण के लिए यदि कोई व्यक्ति अपने परिवार का एकमात्र भरण-पोषण करने वाला है और घर के मुखिया के रूप में कार्य करता है तो उसे जेल भेजने से उसके आश्रितों के लिए गंभीर कठिनाई हो सकती है। इसलिए इस तरह के सख्त दृष्टिकोण को क्रूर और अव्यवहारिक माना जाएगा।”

अदालत ने यह टिप्पणी एक मां द्वारा एक व्यक्ति के खिलाफ दर्ज कराई गई एफआईआर को खारिज करते हुए की। इस एफआईआर में आरोप लगाया गया कि आरोपी ने 2021 में उसकी बेटी का अपहरण कर लिया था।

अदालत ने लड़की और आरोपी द्वारा दायर याचिका को स्वीकार कर लिया, जिन्होंने इस आधार पर एफआईआर को रद्द करने की मांग की कि वे शादीशुदा हैं और अपने वैवाहिक घर में पति और पत्नी के रूप में खुशी से रह रहे हैं।

पुलिस ने सात महीने से अधिक समय बाद उत्तर प्रदेश से आरोपी के साथ शिकायतकर्ता की बेटी को ढूंढ निकाला और दोनों को राष्ट्रीय राजधानी लाया गया।

मजिस्ट्रेट के सामने दर्ज कराए गए अपने बयान में लड़की ने कहा कि उसकी उस व्यक्ति से सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म के जरिए दोस्ती हुई थी और वह उससे मिलने के लिए उत्तर प्रदेश जाने के लिए खुद ही दिल्ली में अपना घर छोड़कर चली गई थी। लड़की ने यह भी कहा कि इसके बाद जो कुछ भी हुआ वह उसकी सहमति से हुआ और किसी ने उनके साथ जबरदस्ती नहीं की।

पिछले साल नवंबर में तीन महीने तक जेल में रहने के बाद उस व्यक्ति को नियमित जमानत दे दी गई, जिसके बाद इस जोड़े ने शादी कर ली। आरोपी के खिलाफ आईपीसी की धारा 363, 366 और 376 और POCSO अधिनियम की धारा 6 के तहत भी आरोप तय किए गए थे।

जोड़े की ओर से दलील दी गई कि लड़की ने वयस्क होने के बाद उस आदमी से शादी की और उसके साथ रहने की इच्छा जताती रही। यह भी प्रस्तुत किया गया कि वे वैवाहिक जीवन में सद्भाव के साथ एक साथ रह रहे थे और दोषसिद्धि की संभावना बहुत कम है और आपराधिक कार्यवाही जारी रहने से उन पर उत्पीड़न और पूर्वाग्रह पैदा होगा।

अदालत ने यह कहते हुए एफआईआर रद्द कर दी कि लड़की ने उस आदमी से शादी कर ली है और वह अपने पति के साथ रहना चाहती है।

अदालत ने कहा, " उसने बयान दिया है कि वह अपनी सहमति से याचिकाकर्ता के साथ गई थी और उसका बयान किसी बल, दबाव या अनुचित प्रभाव के तहत नहीं दिया गया था।"

केस टाइटल : फ़िरोज़ और अन्य बनाम राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली और अन्य राज्य।

Tags:    

Similar News