मंगलवार को पश्चिम बंगाल विधानसभा ने बलात्कार के ख़िलाफ़ पेश किये गए 'अपराजिता बिल' (एंटी रेप) को सर्वसम्मति से पारित कर दिया। 'अपराजिता महिला एवं बाल विधेयक, 2024' में फ़ास्ट ट्रैक कोर्ट की स्थापना का प्रावधान किया गया। बिल के मुताबिक पहली रिपोर्ट दर्ज होने के 21 दिन के भीतर ट्रायल पूरा हो जाना चाहिए।
इस बिल को पश्चिम बंगाल के क़ानून मंत्री मलय घटक ने सदन के पटल पर रखा था। इसमें भारतीय न्याय संहिता, 2023 (BNS) और भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता, 2023 (BNSS) के साथ साथ 'प्रोटेक्शन ऑफ़ चिल्ड्रेन फ्रॉम सेक्सुअल एब्यूज विधेयक, 2019 में संशोधन कर इसमें पश्चिम बंगाल राज्य के लिए विशेष प्रावधान किए गए।
बिल के प्रारूप में कहा गया कि क़ानून व्यवस्था राज्य के अधिकार क्षेत्र में आता है। इसलिए पश्चिम बंगाल सरकार मौजूदा कानूनों में संशोधन कर इसके लिए कड़े प्रावधान बना रही है, जिससे पीड़ितों को जल्द इंसाफ़ मिल सके।
क्या बोली सीएम ममता बनर्जी
बिल पेश किए जाने के बाद सदन में चर्चा के दौरान मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने कहा कि नए विधेयक के प्रभाव में आने के बाद बलात्कार और दुष्कर्म के मामलों से निपटने के लिए पुलिस में 'विशेष अपराजिता कार्य बल' गठित किया जाएगा ताकि जांच 'तय समय सीमा के अंदर' पूरी की जा सके। पुराने मूल अधिनियम के अनुसार थानों में घटना दर्ज किए जाने के दो महीने के अंदर जांच पूरी करने का प्रावधान था। नए संशोधित अधिनियम के अनुसार, पश्चिम बंगाल में इन मामलों की जांच 21 दिनों के अंदर ही पूरा करने की बाध्यता जांच अधिकारियों पर होगी।
'अपराजिता महिला एवं बाल विधेयक, 2024' में दुष्कर्म के लिए आजीवन कारावास या फिर मृत्युदंड और जुर्माना, दोनों का प्रावधान किया गया।
इसके अलावा पीड़िता की पहचान को सार्वजनिक करने पर भी कानून में सख्ती का प्रावधान किया गया, जिसके तहत अगर कोई 'बिना अनुमति के' मुकदमे की कार्यवाही का विवरण या इसका खुलासा करता है तो उसपर 3 से लेकर 5 सालों की सज़ा होगी।
इसके अलावा अगर पीड़ित कोमा में गई या मौत हुई तो दोषी को 10 दिन में फांसी होगी।