'सामान्य आरोप': गुजरात हाईकोर्ट ने शिकायतकर्ता को दहेज नहीं लाने पर ताना मारने वाले पति के दूर के रिश्तेदार के खिलाफ एफआईआर रद्द की
गुजरात हाईकोर्ट ने हाल ही में शिकायतकर्ता के पति के एक दूर के रिश्तेदार के खिलाफ दहेज उत्पीड़न के अपराध के लिए कार्यवाही रद्द कर दी। कोर्ट ने देखा कि पूरी एफआईआर में कोई विशेष घटना का आरोप नहीं लगाया गया है और उसके खिलाफ आरोप पूरी तरह से "सामान्य प्रकृति" के आरोप हैं।
जस्टिस निरजार देसाई ने कहा,
" इस तथ्य को ध्यान में रखते हुए कि आवेदक शिकायतकर्ता के पति का दूर का रिश्तेदार है, ऐसा लगता है कि आक्षेपित आदेश आवेदक को परेशान करने की दृष्टि से आवेदक को झूठा मामले में आरोपी के रूप में फंसाने के प्रयास के अलावा और कुछ नहीं है। आवेदक के खिलाफ आरोप विशुद्ध रूप से सामान्य प्रकृति का है और इस तथ्य को ध्यान में रखते हुए कि आवेदक एक अलग स्थान पर रहता है, आवेदक के खिलाफ एफआईआर दर्ज करना कानून की प्रक्रिया के दुरुपयोग के अलावा और कुछ नहीं है।"
एफआईआर आईपीसी की धारा 498A (वैवाहिक घर में क्रूरता), 323 (स्वेच्छा से चोट पहुंचाना), 504 (शांति भंग करने के इरादे से जानबूझकर अपमान), और 506 (2) (मृत्यु या गंभीर चोट पहुंचाने के लिए आपराधिक धमकी) और दहेज निषेध अधिनियम की धारा 4 के तहत दर्ज की गई थी।
यह आरोप लगाया गया था कि आवेदक शिकायतकर्ता को ताना मारता था कि उसकी शादी 'धोखे' से हुई है और वह दहेज में कुछ भी नहीं लाई है जो समाज में पति के परिवार की प्रतिष्ठा के अनुकूल हो। शिकायतकर्ता ने जोर देकर कहा कि वर्तमान आवेदन के लंबित होने के कारण जांच अधिकारी उसके पति के खिलाफ चार्जशीट दाखिल नहीं कर रहा था जिसके खिलाफ सामग्री थी।
हाईकोर्ट ने हालांकि नोट किया कि पूरी एफआईआर में आवेदक के खिलाफ उसे ताना मारने के बारे में केवल एक वाक्य था और अभियोजन पक्ष उसके खिलाफ कोई भी सामग्री दिखाने में विफल रहा था।
इस प्रकार बेंच ने निष्कर्ष निकाला कि एफआईआर में इस तरह के आरोप 'कानून की प्रक्रिया का दुरुपयोग' करने के लिए हैं और परिणामस्वरूप इसे खारिज किया जाता है।
केस नंबर: आर/सीआर.एमए/887/2020
केस टाइटल : पवनभाई जगदीशभाई पांचाल बनाम गुजरात राज्य
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