इलाहाबाद हाईकोर्ट ने व्यवसाय चलाने में कथित रूप से शामिल वकील के खिलाफ राज्य बार काउंसिल को जांच का आदेश दिया
इलाहाबाद हाईकोर्ट ने बार काउंसिल ऑफ उत्तर प्रदेश को कथित रूप से व्यवसाय चलाने के लिए वकील के खिलाफ कानून के अनुसार जांच करने और उचित कार्रवाई करने का निर्देश दिया। नियम के अनुसार, वकील व्यक्तिगत रूप से कोई व्यवसाय नहीं चला सकता है और बार काउंसिल ऑफ इंडिया के नियम 47 के अनुसार, लाभ नहीं कमा सकता।
जस्टिस सुभाष विद्यार्थी की पीठ के आरोपी की जमानत याचिका पर सुनवाई करने के दौरान उक्त मामला प्रकाश में आया। उक्त आरोपी पर वकील प्रदीप कुमार शर्मा के स्वामित्व वाली व्यावसायिक फर्म के खाते से बेईमानी से पैसे निकालने का मामला दर्ज किया गया है।
कोर्ट ने आरोपी को जमानत देते समय इस तथ्य को ध्यान में रखा कि कथित फर्जीवाड़े की निकासी 2 फरवरी, 2022 को की गई, जबकि एफआईआर 15 फरवरी, 2022 को दर्ज की गई और देरी के लिए कोई स्पष्टीकरण नहीं दिया गया।
कोर्ट ने आगे कहा कि एफआईआर अज्ञात व्यक्ति के खिलाफ दर्ज की गई और अन्य मामले में गिरफ्तारी के बाद पुलिस द्वारा दर्ज किए गए कथित इकबालिया बयान के आधार पर आवेदक को वर्तमान मामले में आरोपी बनाया गया। कोर्ट ने यह भी कहा कि मामले में दो सह-आरोपियों को पहले ही जमानत मिल चुकी है।
नतीजतन, अदालत ने आरोपी को संबंधित अदालत की संतुष्टि के अनुसार निजी बॉन्ड और समान राशि के दो जमानतदार पेश करने की शर्त पर जमानत दी।
हालांकि, मामले से अलग होने से पहले कोर्ट ने इस तथ्य पर ध्यान दिया कि शिकायतकर्ता (प्रदीप कुमार शर्मा) वकील होने के बावजूद, व्यवसाय भी चला रहा है, क्योंकि उसने खुद को 'मेसर्स अयुर्हर्ब्स रेमेडीज इंडिया' का मालिक बताया है।
कोर्ट ने टिप्पणी की,
"यह एफआईआर से ही प्रतीत होता है कि शिकायतकर्ता/वकील व्यवसाय भी चला रहा है।"
इसके साथ ही कोर्ट ने वकील के खिलाफ उत्तर प्रदेश की बार काउंसिल को मामले की जांच करने और कानून के अनुसार उपयुक्त कार्रवाई करने का निर्देश दिया।
केस टाइटल- अनिल कुमार बनाम उत्तर प्रदेश राज्य [आपराधिक MISC। जमानत आवेदन नंबर 37337/2022]
केस साइटेशन: लाइव लॉ (एबी) 486/2022
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