इलाहाबाद हाईकोर्ट ने कुशीनगर में जमीन को लेकर दलाई लामा के खिलाफ याचिका पर विचार करने से इनकार किया
इलाहाबाद हाईकोर्ट ने मंगलवार को दलाई लामा के खिलाफ उत्तर प्रदेश राजस्व संहिता, 2006 के तहत कुशीनगर जिले में उनके नाम पर एक संपत्ति के अधिग्रहण को चुनौती देने वाली जनहित याचिका पर विचार करने से इनकार कर दिया।
याचिकाकर्ता एक स्कूल शिक्षक और रोटरी क्लब कुशीनगर की सक्रिय सदस्य होने का दावा करती है। याचिकाकर्ता ने कहा कि उसे एक अखबार की रिपोर्ट से जमीन के बारे में पता चला। इसके बाद उन्होंने यह पता लगाने के लिए गृह मंत्रालय के समक्ष एक आरटीआई दायर की कि क्या दलाई लामा भारतीय नागरिक हैं, जिसका जवाब 'नहीं' था।
तदनुसार, याचिकाकर्ता ने तर्क दिया कि उत्तर प्रदेश राजस्व संहिता, 2006 की धारा 90 सहपठित उत्तर प्रदेश जमींदारी उन्मूलन और भूमि सुधार अधिनियम, 1950 की धारा 154ए के तहत, कोई विदेशी व्यक्ति भारत में संपत्ति का स्वामित्व हासिल नहीं कर सकता। उन्होंने प्रार्थना की कि उक्त भूमि को बड़े पैमाने पर जनता के हित में निहित किया जाए।
मुख्य न्यायाधीश प्रीतिंकर दिवाकर और जस्टिस आशुतोष श्रीवास्तव की पीठ ने मौखिक रूप से कहा कि 2006 संहिता की धारा 90 में एक प्रावधान है।
प्रावधान के अनुसार, कोई विदेशी नागरिक राज्य सरकार से लिखित अनुमति प्राप्त करने के बाद किसी संपत्ति पर अधिकार प्राप्त कर सकता है। चूंकि याचिकाकर्ता ने यह नहीं दिखाया कि राज्य सरकार से पूर्व अनुमति नहीं ली गई थी, इसलिए जनहित याचिका को वापस ले लिया गया मानकर खारिज कर दिया गया।
एक स्थानीय दैनिक के मुताबिक, जिस जमीन की बात हो रही है, वह एक अनुयायी के बेटे ने दलाई लामा को दान में दी थी। रजिस्ट्री उनके नाम पर की गई थी और 2010 तक उक्त संपत्ति के लिए उनके द्वारा विधिवत कृषि कर का भुगतान किया गया था। इसके बाद, राज्य सरकार ने क्षेत्र के किसानों को उनके बकाया कर का भुगतान करने से छूट दे दी।
केस टाइटल : श्रीमती. शोभा सिंह बनाम भारत संघ और अन्य [पीआईएल नंबर 1003/2023]