पार्टनर का शोषण करना, उसका दुख कम करने की कोशिश न करना आईपीसी की धारा 306 के तहत अपराध हो सकता है : कोर्ट ने प्रत्यूषा बनर्जी आत्महत्या मामले में बॉयफ्रेंड को बरी करने से इनकार किया

Update: 2023-09-02 09:10 GMT

मुंबई के एक सेशन कोर्ट ने 2016 में अभिनेत्री प्रत्यूषा बनर्जी को आत्महत्या को उकसाने के आरोपी इवेंट प्लानर राहुल राज सिंह को आरोपमुक्त करने से इनकार करते हुए कहा कि अपने साथी का इस हद तक शोषण करना कि उसको जीने की इच्छा न करे और उसकी तकलीफ कम करने के लिए कोई कदम न उठाना, आत्महत्या के लिए उकसाने का अपराध हो सकता है।

अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश एसजे अंसारी ने प्रथम दृष्टया पाया कि बनर्जी के लिव-इन पार्टनर सिंह ने उसके जीवन को " जीते जी नरक" बना दिया और कहा जा सकता है कि उसने जानबूझकर उसे आत्महत्या के लिए उकसाया।

कोर्ट ने कहा,

" यह नहीं कहा जा सकता कि मृतिका के साथ रह रहा आरोपी उसकी मानसिक स्थिति के बारे में अनभिज्ञ था और साथ ही यह भी नहीं कहा जा सकता कि वह इस बात से भी अनभिज्ञ था कि वह मुश्किल हालात में है, अर्थात उसे इस बात की जानकारी थी कि अपना शोषण करने वाले साथी को छोड़ना उसके लिए फायदेमंद और आवश्यक है। इसके बावजूद पीड़िता उससे शादी करना चाहती थी।

रिकॉर्ड में मौजूद सामग्री के अनुसार प्रत्यूषा की यह हालत आरोपी की वजह से थी, जिसके उत्पीड़न ने उसे आत्महत्या के बारे में सोचने पर मजबूर कर दिया। मेरी राय में तथ्य यह है कि उसने प्रत्यूषा की पीड़ा को कम करने के लिए कोई कदम नहीं उठाया, यह स्पष्ट रूप से उसे मृतक को आत्महत्या के लिए उकसाने के दायरे में लाता है।''

बनर्जी को टेलीविजन धारावाहिक बालिका वधू में उनकी भूमिका के लिए जाना जाता है। 1 अप्रैल, 2016 को गोरेगांव (पश्चिम) में अपने किराए के फ्लैट में आत्महत्या कर ली थी। राहुल राज सिंह पर आत्महत्या के लिए उकसाने का मामला दर्ज किया गया था। उसे जुलाई, 2016 में बॉम्बे हाईकोर्ट ने अग्रिम जमानत दी थी। अप्रैल 2018 में बांगुर नगर पुलिस ने मामले में आरोप पत्र दायर किया, जिसके बाद सिंह को मामले में आरोपमुक्त करने की मांग करते हुए याचिका दायर की थी।

सिंह ने अपनी याचिका में कहा कि जब बनर्जी ने यह कठोर कदम उठाया तो वह शराब के नशे में थीं और काम न मिलने के कारण अवसाद में थी। आरोपी ने मारियानो एंटो ब्रूनो बनाम पुलिस इंस्पेक्टर के मामले का हवाला देते हुए कहा कि उसने बनर्जी को प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से नहीं उकसाया और इसलिए अपराध के गठन की सामग्री पूरी नहीं हुई।

हालांकि अदालत ने आदेश में बनर्जी के दोस्तों और परिवार के बयानों पर गौर किया, जो  लिव इन रिलेशनशिप में अपमानजनक व्यवहार और पीड़िता के जीवन पर उसके नियंत्रण की ओर इशारा करते हैं।

“ इसलिए मृतक के माता-पिता, चाचा, चाची, दोस्तों, कर्मचारियों, नौकर और पड़ोसियों के बयानों से पहली नजर में यह पता चलता है कि आरोपी ने मृतक की ज़िंदगी में आने के बाद धीरे-धीरे लेकिन निश्चित रूप से उसके सभी पहलुओं जैसे जीवन, विशेषकर उसके वित्तीय लेन-देन पर नियंत्रण कर लिया। ”

प्रथम दृष्टया यह संकेत देने वाली सामग्री भी है कि आरोपी ने बनर्जी के चरित्र पर संदेह किया और उसके साथ मारपीट की। इसके अलावा, सिंह ने बनर्जी के साथ रह रही उनकी मां को आश्वस्त कि वह बनर्जी का ख्याल रखेगा, क्योंकि वह उस पर भावनात्मक रूप से पूरी तरह से निर्भर थी। इस आश्वासन पर मृतक की मां अपने घर लौट गई। अदालत ने कहा कि सिंह उसके डेबिट कार्ड का इस्तेमाल कर रहा था और उसने वहां से अपने खाते में पैसे जमा करना भी शुरू कर दिया था।"

अदालत ने यह भी कहा कि मारियानो एंटो (सुप्रा) में शीर्ष अदालत ने कहा था कि फैसले पर आरोपी की निर्भरता को खारिज करते हुए कहा गया है, "यदि आरोपी पीड़िता के आत्मसम्मान को धूमिल करने में सक्रिय भूमिका निभाता है, जो अंततः पीड़ित को आत्महत्या के लिए उकसाता है तो आरोपी को आत्महत्या के लिए उकसाने का दोषी ठहराया जा सकता है।"

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