परिसीमन अधिनियम HRCE आयुक्त जैसे वैधानिक अधिकारियों के समक्ष मामले, अपील या आवेदन करने पर लागू नहीं होता : सुप्रीम कोर्ट [निर्णय पढ़े]

Update: 2019-05-08 08:42 GMT

परिसीमन अधिनियम का कोई प्रावधान लागू होने योग्य है या नहीं इस बारे में कोई विशेष या स्थानीय क़ानून आसानी से निर्णय कर सकता है।

सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि परिसीमन अधिनियम 1963 में जिन मुक़दमों, अपीलों या आवेदनों की बात कही गई है उसे किसी अदालत में दायर किया जा सकता है न कि किसी वैधानिक प्राधिकरण केसमक्ष।

न्यायमूर्ति अशोक भूषण और न्यायमूर्ति केएम जोसफ़ की पीठ ने कहा कि हिंदू धार्मिकदान खैराती अधिनियम, 1959 के तहत 'आयुक्त' परिसीमन क़ानूनी के अनुसार 'अदालत' की श्रेणी में नहीं आता है।

पीठ ने यह भी कहा कि HRCE अधिनियम की धारा 69 के तहत अपील की सुनवाई करते हुए आयुक्त अपील दायर करने में हुई देरी को माफ़ नहीं कर सकता क्योंकि इस अधिनियम की धारा 29(2) कीवजह से धारा 5 के प्रावधान इस पर लागू नहीं होंगे। पीठ ने कहा कि HRCE अधिनियम के तहत परिसीमन अधिनियम की धारा 5 लागू नहीं होगी।

गनेशन बनाम तमिलनाडु हिन्दू धार्मिक एवं खैराती दान बोर्ड के आयुक्त के इस मामले में पीठ ने मद्रास हाईकोर्ट के एक फ़ैसले के ख़िलाफ़ अपील पर ग़ौर करते हुए यह बात कही। हाईकोर्ट ने कहा थाकि आयुक्त को HRCE अधिनियम की धारा 69 के तहत अपील में हुई देरी को माफ़ करने का अधिकार है और इस संदर्भ में परिसीमन अधिनियम की धारा 5 पूरी तरह लागू होती है। पूर्व के फ़ैसलों केआधार पर पीठ ने इस मामले में अपने फ़ैसलों में कहा -

• परिसीमन अधिनियम, 1963 में जिन मुक़दमों, अपीलों और आवेदनों की बात कही गई है उन्हें किसी अदालत में दायर किया जा सकता है।
• परिसीमन अधिनियम, 1963 के तहत मुक़दमों, अपीलों और आवेदनों को 1959 के अधिनियम के तहत किसी आयुक्त जैसे प्राधिकरण के समक्ष नहीं दायर किया जा सकता है।
• वैधानिक योजनाओं के संबंध में विशेष या स्थानीय क़ानून परिसीमन अधिनियम के किसी भी प्रावधान को लागू कर सकता है या इनको लागू होने से रोक सकता है और संबंधित योजना, विशेष यास्थानीय क़ानून पर ग़ौर करने के बाद ही इस पर निर्णय किया जा सकता है।



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