ईवीएम पर चुनाव आयोग के निर्देश का मामला : बॉम्बे हाईकोर्ट की नागपुर पीठ ने कांग्रेस उम्मीदवार की याचिका पर रविवार को दिया निर्णय [आर्डर पढ़े]
रविवार को अमूमन अदालत किसी मामले की सुनवाई नहीं करती, हालाँकि हमने सुप्रीम कोर्ट की आधी रात की सुनवाई के बारे में सुना है। पर बॉम्बे हाईकोर्ट की नागपुर पीठ ने रविवार को सुनवाई कर एक फ़ैसला दिया है।
न्यायमूर्ति रवि के देशपांडे और न्यायमूर्ति एसएम मोदक की पीठ ने नागपुर शहर (ज़िला) कांग्रेस कमिटी और नागपुर से कांग्रेस के उम्मीदवार नाना पटोले ने चुनाव में ईवीएम और वीवीपैट के बारे में चुनाव आयोग के दिशानिर्देशों को लागू कराने के बारे में एक याचिका दायर की थी। इस याचिका को शनिवार को स्वीकार किया गया और इस पर चुनाव आयोग की राय लेकर रविवार को सुनवाई की बात कही गई।
रविवार कोई अपने आदेश में कोर्ट ने इस बात को स्पष्ट किया कि उसने इतनी शीघ्रता से इस मामले पर ग़ौर क्यों किया :
"(चुनाव) प्रक्रिया में काम आने वाले संवेदनशील मशीनों और इलेक्ट्रोनिक उपकरणों की सुरक्षा और उसकी हिफ़ाज़त ज़रूरी है। चुनाव के संचालन में उम्मीदवार या उसके नुमाइंदों की भागीदारी और अधिकारियों द्वारा चुनाव का संचालन प्रभावी तरीक़े से होनी चाहिए जैसा कि चुनाव आयोग ने अपने दिशानिर्देश में कहा है कि उद्देश्य पूरी व्यवस्था में विश्वास क़ायम करना है। इन्हीं बातों को ध्यान में रखकर, सभी उम्मीदवारों और जनता के हित में हमने इस याचिका पर इतनी शीघ्रता से ग़ौर किया है ताकि जनता की शिकायत को जहाँ तक संभव हो, दूर किया जा सके…"
याचिका में एक शिकायत यह थी कि उम्मीदवारों के नुमाइंदों को चुनाव आयोग के निर्देशों के अनुरूप सभी चुने हुए ईवीएम पर 1000 स्ट्रोक्स नहीं लगाने दिया जा रहा है। पीठ ने पीठासीन पदाधिकारी का यह बयान रेकर्ड किया कि सभी उम्मीदवारों के नुमाइंदों को चुने हुए ईवीएम पर 1000 स्ट्रोक्स लगाने की अनुमति देने में कोई समस्या नहीं आएगी।
याचिका में दूसरा मुद्दा यह उठाया गया था कि चुनाव के दिन चुनाव का नक़ली प्रदर्शन किया जाता है जिसमें उम्मीदवार या उसके नुमाइंदों को 50 स्ट्रोक्स लगाने की अनुमति दी जाती है। उनके अनुसार, अगर ईवीएम मशीन में कोई छेड़छाड़ की गई है तो जब 50 से ज़्यादा स्ट्रोक्स इस पर लगाए जाएँगे तब जाकर इस बात का पता चलेगा क्योंकि इन मशीनों को इस तरह बनाया गया है कि नक़ली मतदान के लिए सिर्फ़ 50 स्ट्रोक्स ही इस पर लगाए जा सकते हैं। पर पीठासीन पदाधिकारी ने इसका विरोध किया और इस पर कोर्ट ने कहा,
"ईवीएम और इससे जुड़ी हुई इकाइयाँ इस तरह से डिज़ाइन की गई हैं कि यह किसी उम्मीदवार के हित में है या किसी के विरोध में इस विवाद पर अभी नहीं पड़ते हुए इस बारे में फ़ैसला किसी उचित समय पर किसी उचित कार्यवाही में होने वाले निर्णय पर छोड़ देते हैं।"
कोर्ट ने पीठासीन पदाधिकारी के इस बयान पर भी कोई निर्णय नहीं दिया कि प्रथम स्तर की जाँच के बाद और दूसरे स्तर की जाँच के शुरू होने के समय का न तो विडीओग्राफ़ी और न ही सीसीटीवी फूटेज उम्मीदवारों को दिया जाएगा। और इस तरह अदालत ने इस याचिका का निस्तारन कर दिया:
"…पीठासीन पदाधिकारी ने हमें आश्वासन दिया है कि चुनाव कराने और चुनाव पूरा होने के बाद की प्रक्रिया को पूरा करने के बारे में चुनाव आयोग के प्रत्येक निर्देशों का सलीक़े से पालन करने का प्रयास किया जाएगा"।