एसिड अटैक अपराध के प्रति नहीं बरती जा सकती है कोई नरमी-सुप्रीम कोर्ट [निर्णय पढ़ें]

Update: 2019-03-22 13:30 GMT

इस तरह के अपराध के प्रति किसी तरह की नरमी नहीं बरती जा सकती है,यह टिप्पणी करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने दो अभियुक्तों को निर्देश दिया है कि वह एसिड अटैक केस की पीड़िता को डेढ़-डेढ़ लाख रुपए मुआवजे के तौर पर दें।

इशिता घटना के समय अपने कालेज जा रही थी,तभी स्कूटर पर दो लड़के आए और एसिड से भरा जग उस पर उड़ेल दिया और उसके बाद घटनास्थल से फरार हो गए। एसिड के कारण हुई जलन के कारण उसने रोना शुरू कर दिया और पास स्थित एक पानी के टैंक में छलांग लगा दी। तभी उस इलाके के रहने वाले एक व्यक्ति ने इशिता के रोने की आवाज सुनी और उसके अस्पताल लेकर गया। इसके बाद आरोपियों के खिलाफ केस दर्ज किया गया।

निचली अदालत ने आरोपियों को भारतीय दंड संहिता की धारा 307/34 यानि हत्या के प्रयास के मामले में दोषी करार देते हुए दस-दस साल कैद की सजा सुनाई थी। साथ ही दोनों पर पांच-पांच हजार रुपए जुर्माना भी लगाया था।दोनों आरोपियों की अपील को आंशिक तौर पर स्वीकार करते हुए हाईकोर्ट ने उनको भारतीय दंड संहिता की धारा 307/34 की बजाय धारा 326/34 यानि हथियार या एसिड से किसी को गंभीर रूप से घायल करने का दोषी माना और उनकी सजा को पांच-पांच साल के कारावास में तब्दील कर दिया। साथ ही 25-25 हजार रुपए जुर्माना लगाया। इस मामले में राज्य सरकार ने हाईकोर्ट के फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुुनौती दे दी थी।

हालांकि सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में हाईकोर्ट के सजा के फैसले में कोई हस्तक्षेप नहीं किया,परंतु सुप्रीम कोर्ट ने कहा

''कि इस मामले में इस बात से इंकार नहीं किया जा सकता है कि पीड़िता ने अभियुक्तों द्वारा किए एक असभ्य और निर्मम अपराध को झेला है। इस तरह के मामले में किसी भी कोने में कोई नरमी नहीं बची है इसलिए किसी भी तरह की नरमी की कोई उम्मीद नहीं की जा सकती है। कोर्ट पीड़िता की उस मनोदशा की अनदेखी नहीं कर सकती है,जिसे उसने झेला है। पीड़िता की उस मनोदशा की भरपाई न तो अभियुक्तों को सजा देकर की जा सकती है और न ही पीड़िता को मुआवजा देकर।''

इस मामले में मुआवजे की राशि को बढ़ाते हुए बेंच ने कहा कि मुआवजे की राशि से पीड़िता की उस पीड़ा को कुछ सांत्वना मिलेगी,जो उसने झेली है। शीर्ष कोर्ट ने राज्य सरकार को भी निर्देश दिया है कि एसिड अटैक के पीड़ितों के लिए बनाई गई पीड़ित मुआवजा स्कीम के तहत पीड़िता को उचित मुआवजा दिया जाए।

शीर्ष कोर्ट ने कहा कि मामले के तमाम तथ्यों को देखते हुए हम यह समझते है कि दोनों अभियुक्त पीड़िता को अलग से डेढ़-डेढ़ लाख रुपए मुआवजे के तौर पर दें। वहीं हिमाचल प्रदेश सरकार पीड़ित मुआवजा स्कीम की धारा 10 के तहत पीड़िता को उचित मुआवजा दे। अगर किसी भी अभियुक्त ने छह माह के अंदर मुआवजे की राशि नहीं दी तो ऐसा करने वाले अभियुक्त को इसके लिए छह माह की सजा काटनी होगी। वहीं राज्य सरकार फैसले की तारीख के तीन माह के अंदर निचली अदालत में मुआवजे की राशि जमा करा दे और निचली अदालत पीड़िता की उचित पहचान करने के बाद उसे वह राशि दे दे।


Similar News