जिनके नाम चुनाव मतदाता सूची में हैं पर एनआरसी की अंतिम सूची में नहीं है उनका क्या हुआ, सुप्रीम कोर्ट जानना चाहता है [आर्डर पढ़े]

Update: 2019-03-20 06:43 GMT

उन लोगों का क्या हुआ जिनके नाम मतदाता सूची में हैं पर जिन्हें एनआरसी की अंतिम सूची में नहीं है? यह प्रश्न  सुप्रीम कोर्ट ने चुनाव आयोग से पूछा।

सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति रंजन गोगोई,न्यायमूर्ति दीपक गुप्ता और न्यायमूर्ति संजीव खन्ना की पीठ ने कहा कि 'भविष्य के लिए यह प्रश्न बहुत ही महत्त्वपूर्ण है'।

"वर्तमान याचिका की बातों के अलावा, बड़ा प्रश्न यह है, और इसके बारे में कोर्ट को बताया जाना चाहिए कि एनआरसी की अंतिम सूची (जिसे 31.7.2019 में प्रकाशित किया जाना है) और मतदाता सूची में क्या संबंध है", पीठ ने चुनाव आयोग को इस बारे में दो सप्ताह के भीतर हलफ़नामा दायर कर बताने को कहा है।

गोपाल सेठ ने सुप्रीम कोर्ट में एक याचिका दायर की है कि एनआरसी सूची में उसका नाम नहीं होने के आधार पर उसका नाम मतदाता सूची से हटा दिया गया है। चूँकि इस मामले की पिछली सुनवाई के दौरान चुनाव आयोग का कोई प्रतिनिधि नहीं था इसलिए पीठ ने उसके सचिव को अगली सुनवाई में मौजूद रहने का आदेश दिया था।

मलय मल्लिक, चुनाव आयोग के सचिव मंगलवार को सुप्रीम कोर्ट में इस मामले पर हुई सुनवाई में मौजूद थे और पीठ ने उनसे सवाल जवाब किए। चुनाव आयोग के वक़ील विकास सिंह ने याचिका में लगाए गए आरोपों से इंकार किया और कहा कि याचिकाकर्ताओं के नाम मतदाता सूची से किसी भी स्तर पर निकाले नहीं गए हैं। इस संबंध में पीठ ने चुनाव आयोग को एक सप्ताह के भीतर हलफ़नामा दायर करने को कहा।

इसके बाद कोर्ट ने कहा कि इस मामले की अगली सुनवाई अब 28 मार्च को होगी। पीठ ने चुनाव आयोग से कहा,

"हम चुनाव आयोग को निर्देश देते हैं कि वह जैन प्रतिनिधित्व क़ानून, 1950 के तहत असम राज्य की मतदाता सूची में 1.1.2017, 1.1.2018 and 1.1.2019 को हुए संशोधन की विस्तृत जानकारी कोर्ट को दे और यह बताए कि मतदाता सूची के संशोधन की परकिरया के तहत इससे सही-सही कितने नाम निकाले गए और कितने नाम जोड़े गए।"


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