'स्वैच्छिक उकसावा' का हवाला देकर हत्या के अपराध को अपवाद की श्रेणी में नहीं डाला जा सकता : सुप्रीम कोर्ट
सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि अगर आरोपी के उकसावे की कार्रवाई स्वैच्छिक है तो इस पर आईपीसी की धारा 300 के तहत अपवाद 1 लागू नहीं होगा।
न्यायमूर्ति एल नागेश्वर राव और न्यायमूर्ति संजय किशन कॉल ने हाईकोर्ट के उस आदेश को निरस्त कर दिया जिसमें एक आरोपी जिसको आईपीसी की धारा 302 के तहत दोषी पाया गया था, को बदलकर उसको धारा 304 के भाग एक के तहत दोषी माना।
निचली अदालत ने हत्या के आरोपी को दोषी माना क्योंकि उसने पाया कि आरोपी ने मृतक पर अपने पिस्टल से गोली चलाई क्योंकि उसको शक था कि मृतक उसके घर गया था क्योंकि वह उसकी पत्नी पर बुरी नज़र रखता था। उसने हाईकोर्ट में अपील की जिसने उसकी याचिका स्वीकार कर ली और और उसकी सज़ा जो धारा 304 Part I के तहत बदल दिया। हाईकोर्ट ने कहा कि मृतक ने झगड़ा में हस्तक्षेप किया जिसकी वजह से आरोपी को ग़ुस्सा आया और इस तरह से वह उकसाए जाने के कारण गोली चलाई।
सुप्रीम कोर्ट ने निचली अदालत के फ़ैसले से सहमति जताई कि आरोपी घटनास्थल पर पहुँचने के बाद आरोपी का ध्यान वहाँ चल रहे पंचायत की ओर गया जिसमें विवाद सुलझाने की प्रक्रिया चल रही थी। कोर्ट ने कहा कि आरोपी ने मृतक को उसके घर पर आते रहने और उसकी पत्नी से मिलने जुलने की वजह से गोली मारी।
कोर्ट ने कहा कि दोषी ठहराए जाने की धारा को बदलकर्र हाईकोर्ट ने गम्भीर ग़लती की।