विशाखापट्टनम गैस लीक: सुप्रीम कोर्ट ने LG पॉलीमर को संयंत्र का निरीक्षण करने की अनुमति दी, हाईकोर्ट के फैसले में दखल देने से इनकार
सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को विशाखापट्टनम गैस लीक त्रासदी मामले की आंध्र प्रदेश हाईकोर्ट के आदेश में दखल देने से इनकार कर दिया लेकिन संयंत्र के निरीक्षण के लिए
याचिकाकर्ता कंपनी एलजी पॉलीमर इंडिया को अपने 30 अधिकारी भेजने की अनुमति दे दी।
जस्टिस यू यू ललित, जस्टिस एम एम शांतनागौदर और जस्टिस विनीत सरन की पीठ ने कंपनी को कहा है कि वो इन 30 अधिकारियों की सूची मंगलवार तीन बजे तक जिला कलेक्टर को सौंप दे।
पीठ ने कंपनी से जांच में सहयोग करने को कहा है और हाईकोर्ट के समक्ष इन सब मुद्दों को रखने के निर्देश दिए हैं। पीठ ने साफ किया है कि ये मामला या तो हाईकोर्ट सुनेगा या फिर NGT। सुप्रीम कोर्ट ने मामले को 8 जून के लिए सूचीबद्ध किया है।
याचिकाकर्ता कंपनी की ओर से पेश वरिष्ठ वकील मुकुल रोहतगी ने कहा,
"3 दिन पहले, हम एनजीटी के आदेश के खिलाफ आए थे। मैंने वैधताओं के बारे में एनजीटी को बताया है। अब, हाईकोर्ट अब खुद एक कमेटी बन गया है। इसके अलावा, उच्च न्यायालय ने संयंत्र को सील कर दिया है। हमारे संयंत्र केवल हाईकोर्ट के लिए खुले हैं। कोई भी उनके साथ नहीं जा सकता, उन्हें बताएं कि क्या हो रहा है .. सीलिंग का आदेश भी पारित नहीं किया गया था। हम मौजूद थे, कोर्ट में नहीं बोला गया।"
मुकुल ने कहा कि संयंत्र में जहरीले पदार्थ हैं जिनकी जांच जरूरी है और ये निरीक्षण सिर्फ कंपनी के विशेषज्ञ कर सकते हैं।
मुकुल ने कहा कि वो जांच में सहयोग कर रहे हैं लेकिन सात जांच कमेटियां जांच कर रही हैं। उन्होंने कहा कि वो ट्रांसफर याचिका लगाकर मामले को सुप्रीम कोर्ट में ट्रांसफर करने की मांग करेंगे।
इससे पहले सुप्रीम कोर्ट ने 19 मई को नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (NGT) के उस आदेश में दखल देने से इनकार कर दिया था जिसमें विशाखापट्टनम गैस लीक त्रासदी मामले की आंध्र प्रदेश हाईकोर्ट के पूर्व जज जस्टिस बी शेषासायण रेड्डी की अध्यक्षता में जांच कमेटी का गठन किया गया था।
हालांकि जस्टिस यू यू ललित की अध्यक्षता वाली पीठ ने मामले को लंबित रखा और याचिकाकर्ता कंपनी एलजी पॉलीमर इंडिया को इस संबंध में NGT के समक्ष अपना आवेदन देने को कहा है। सुप्रीम कोर्ट ने मामले को 8 जून को सूचीबद्ध किया है।
दरअसल एलजी पॉलीमर इंडिया ने सुप्रीम कोर्ट में सात मई को हुई त्रासदी को लेकर बनाई गई जांच कमेटियों को लेकर याचिका दाखिल की है।
याचिकाकर्ता की ओर से पेश वरिष्ठ वकील मुकुल रोहतगी ने पीठ को बताया था कि NGT के आदेशानुसार 50 करोड रुपये जमा कराए गए हैं । लेकिन इस मामले की जांच के लिए सात अलग- अलग कमेटी बना दी गई हैं ।
NGT की कमेटी ने बिना नोटिस दिए तीन बार प्लांट का दौरा किया। NGT के पास स्वत: संज्ञान लेकर कार्रवाई शुरू करने का क्षेत्राधिकार नहीं है क्योंकि पहले ही हाईकोर्ट ने मामले की सुनवाई कर आदेश जारी किए थे।
उन्होंने पीठ को बताया था कि केंद्र, NHRC और राज्य के प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने भी जांच कमेटी बना दी हैं और NGT की कमेटी पर रोक लगाई जानी चाहिए। लेकिन पीठ ने कहा था कि ये मामला पूरी तरह कानूनी है और NGT को पता नहीं होगा कि हाईकोर्ट ने मामले की सुनवाई की है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि मामला NGT में लंबित है इसलिए वो कोई आदेश जारी नहीं करेगा और ना ही नोटिस जारी करेगा।
पीठ ने कहा कि इस मामले को 1 जून को NGT के समक्ष उठाया जा सकता है। यह मामला 8 जून को विचार के लिए लंबित रखा गया है।
दरअसल आठ मई को नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल ने सात मई को विशाखापट्टनम में गैस लीक मामले को लेकर एलजी पॉलीमर इंडिया को 50 करोड़ रुपये की अंतरिम राशि जमा करने का निर्देश दिया था। पीठ ने इसके अलावा केंद्र और एलजी पॉलीमर और केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (CPCB) समेत अन्य को भी नोटिस जारी किया था ।
NGT में न्यायमूर्ति आदर्श कुमार गोयल की अध्यक्षता वाली पीठ ने इस घटना की जांच करने के लिए न्यायमूर्ति बी शेषासायण रेड्डी की अगुवाआ में पांच सदस्यीय समिति का गठन किया। 18 मई से पहले इसे रिपोर्ट प्रस्तुत करनी थी।
गैस लीक होने से 11 मजदूरों की मौत हो गई थी और सैंकड़ों लोगों को अस्पताल में भर्ती कराना पड़ा था । NGT का कहना था कि इस मामले को देखकर स्पष्ट पता चलता है कि कंपनी नियमों और दूसरे वैधानिक प्रावधानों को पूरा करने में नाकाम रही है। जिसकी वजह से ये हादसा हुआ है।