अगर कोई वक़ील लंबित मामले की सुनवाई चाहता है तो वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग की सुविधा उपलब्ध करायी जाएगी, सुप्रीम कोर्ट ने केरल हाईकोर्ट के ख़िलाफ़ याचिका ख़ारिज की

Update: 2020-08-05 14:36 GMT

सुप्रीम कोर्ट ने केरल हाईकोर्ट में भौतिक रूप में मामले की फ़ाइलिंग और सुनवाई शुरू करने के बारे में याचिका को ख़ारिज करते हुए कहा कि अगर कोई वक़ील हाईकोर्ट में लंबित मामले की सुनवाई चाहता है तो उसे वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग की सुविधा उपलब्ध करायी जाएगी।

इस बारे में एक वक़ील पीजी अरविंद ने रिट याचिका दायर की थी और हाईकोर्ट के उस आदेश को निरस्त करने की मांग की थी जिसमें कहा गया था कि 6 जुलाई से ज़मानत की याचिका और एकल जज के समक्ष सुनवाई को छोड़कर सभी मामलों में वास्तविक सुनवाई, केस में आवेदनों/याचिकाओं की भौतिक फ़ाइलिंग दोबारा शुरू की जाएगी। वक़ील ने सिर्फ़ ज़मानत के मामले में ई-फ़ाइलिंग की अनुमति पर सवाल उठाया था और कहा कि उसे सभी मामलों में ई-फ़ाइलिंग की अनुमति देनी चाहिए थी।

न्यायमूर्ति अशोक भूषण, न्यायमूर्ति एसके कौल और न्यायमूर्ति एमआर शाह की पीठ हालांकि इस मामले पर ग़ौर करने की इच्छुक नहीं थी और याचिकाकर्ता को कहा था कि वह केरल हाईकोर्ट के पास इस मुद्दे को ले जाए, लेकिन बाद में वक़ील की इस दलील पर ग़ौर किया कि इस तरह के आदेश को कोरोना वायरस से पैदा हुई स्थिति में लागू नहीं किया जा सकता। इसके बाद इसने सॉलिसिटर जनरल से कहा कि वह केरल हाईकोर्ट से इस बारे में निर्देश प्राप्त करे।

इसके बाद हाईकोर्ट में काम काज और वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग, भौतिक फ़ाइलिंग, ई-फ़ाइलिंग और भौतिक सुनवाई पर एक रिपोर्ट पेश की गई। इस रिपोर्ट में कहा गया : "अगर कोई वक़ील वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से ऐसे किसी मामले में सुनवाई चाहता है जो किसी खंडपीठ या एकल पीठ के समक्ष लंबित है तो रजिस्ट्री ने उसे आश्वासन दिया है कि इसके लिए उसे सुविधाएं मुहैया करायी जाएंगी।"

इस पर विचार करते हुए याचिकाकर्ता के वक़ील ने कहा कि उसे अब इस बारे में कोई शिकायत नहीं है और पीठ ने मामले को बंद कर दिया।

आदेश की प्रति डाउनलोड करने के लिए यहां क्लिक करें 



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