गवाहों का क्रॉस एक्जामिनेशन एक ही दिन में पूरा करने की कोशिश करें: सुप्रीम कोर्ट

Update: 2022-04-07 14:29 GMT

सुप्रीम कोर्ट

सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि एक बार जब गवाह विटनेस बॉक्स में है और और उनका प्रति परीक्षण (क्रॉस एक्जामिन) किया जा रहा है तो यह सुनिश्चित करने के लिए हर संभव प्रयास किया जाना चाहिए कि उस दिन जिरह पूरी हो जाए।

जस्टिस एसके कौल और जस्टिस एमएम सुंदरेश की पीठ ने इलाहाबाद हाईकोर्ट के 19 मार्च, 2021 के आदेश ("आक्षेपित आदेश") आदेश के खिलाफ दायर विशेष अनुमति याचिका पर विचार करते हुए यह टिप्पणी की।

आक्षेपित आदेश में हाईकोर्ट ने उस आवेदक को जमानत देने से इनकार कर दिया था जिसके खिलाफ भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की धारा 419, 420, 467, 468, 471, 406 506, 392, 120-बी के तहत एफआईआर दर्ज थी।

याचिकाकर्ता की ओर से पेश वकील ने कहा कि जब भी पहले गवाह से जिरह की जाती है और कुछ सवालों के बाद मामले को टाल दिया जाता है। उन्होंने अदालत को यह भी बताया कि मामले में चार निजी गवाह हैं।

मामले को स्थगित करने के संबंध में अपनी अस्वीकृति व्यक्त करते हुए पीठ ने अपने आदेश में कहा,

"एक बार जब गवाह विटनेस बॉक्स में है और उससे जिरह की जा रही है तो यह सुनिश्चित करने के लिए हर संभव प्रयास किया जाना चाहिए कि उस दिन जिरह पूरी हो जाए। यह अदालत के समक्ष मामले की प्रकृति को और अधिक जटिल नहीं है। हम उम्मीद करते हैं कि निचली अदालत अगली तारीख से पहले निजी गवाहों की जिरह पूरी कर लेगी।"

केस शीर्षक: नीतू त्रिपाठी बनाम उत्तर प्रदेश राज्य और अन्य| अपील के लिए विशेष अनुमति (Crl.) No.3997/2021

साइटेशन : 2022 लाइव लॉ (एससी) 349

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