न्यायाधीशों को डराने के लिए बड़ी बड़ी फाइलों में केस दायर किया, इतना वॉल्यूम ले जाने के लिए हमें लॉरी लगानी होगी : सीजेआई ने नाराज़गी व्यक्त की
भारत के मुख्य न्यायाधीश एनवी रमाना ने शुक्रवार को सुप्रीम कोर्ट के समक्ष पक्षकारों द्वारा दायर की जा रही अत्यधिक विशाल फाइलों में दायर की गई याचिकाओं पर नाराजगी व्यक्त की।
चीफ जस्टिस ने आश्चर्य जताया कि क्या इस तरह की भारी भरकम फाइलिंग का उद्देश्य न्यायाधीशों को पूरी याचिकाओं को पढ़ने से "डराने" के उद्देश्य के लिए है।
ट्राई के टैरिफ ऑर्डर से जुड़े मामले में इंडियन ब्रॉडकास्टिंग एंड डिजिटल फाउंडेशन की ओर से दायर एक याचिका पर विचार करते हुए यह टिप्पणी की गई। CJI ने टिप्पणी की कि याचिकाओं के 51 वॉल्यूम (खंड) दायर किए गए हैं और उन्हें ले जाने के लिए एक लॉरी की व्यवस्था की करनी पड़ी।
सीजेआई ने वकील से कहा,
"आपने यह एसएलपी 51 वॉल्यूम के साथ दायर की है? इसका उद्देश्य यह प्रतीत होता है कि न्यायाधीश को कुछ भी नहीं पढ़ना चाहिए। कल हमें इसे ले जाने के लिए एक लॉरी लगानी पड़ी।"
सीजेआई ने कहा,
"हम 51 वॉल्यूम नहीं सुन सकते। 51 वॉल्यूम देने का उद्देश्य क्या है? आप इतने वॉल्यूम दर्ज करके हमें डरानाचाहते हैं! एक मामले में 51 वॉल्यूम!।"
CJI ने मामले में उपस्थित वकीलों को एक साथ बैठने और एक छोटा संकलन दाखिल करने को कहा।
सीजेआई ने ई-कॉमर्स दिग्गज Amazon और Flipkar द्वारा भारतीय प्रतिस्पर्धा आयोग द्वारा उनके खिलाफ जांच के आदेश को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर विचार करते हुए इसी तरह की टिप्पणी की।
मुख्य न्यायाधीश ने कहा,
"मैंने दूसरे मामले में भी यह संकेत दिया है। जजों को आतंकित करने के लिए 100 या 200 वॉल्यूम दायर किए जाते हैं, जो ट्रक में लोड होते हैं। इरादा यह लगता है कि हमें कागजात बिल्कुल नहीं पढ़ना चाहिए।"
इस पर वरिष्ठ अधिवक्ता डॉ अभिषेक मनु सिंघवी ने संक्षिप्त संकलन दाखिल करने की बात कही। हालांकि, CJI ने कहा कि यह आवश्यक नहीं, क्योंकि हो सकता है कि फाइलों को उनकी भारी प्रकृति के बावजूद पढ़ा जाए।