तृणमूल कांग्रेस सांसद महुआ मोइत्रा ने नागरिकता संशोधन अधिनियम के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट का रुख किया
तृणमूल कांग्रेस की सांसद महुआ मोइत्रा ने नागरिकता संशोधन अधिनियम 2019 की संवैधानिक वैधता पर सवाल उठाते हुए सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया है। इस कानून को गुरुवार रात राष्ट्रपति की स्वीकृति मिल गई।
याचिका को सीजेआई एसए बोबडे के समक्ष तत्काल सुनवाई के लिए मेंशन किया गया था लेकिन कोर्ट ने मोइत्रा के वकील को लिस्टिंग के लिए मेंशनिंग रजिस्ट्रार के समक्ष पहले मामले को उठाने के लिए कहा।
बुधवार को संसद द्वारा पारित किया गया अधिनियम पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफगानिस्तान से गैर-मुस्लिम प्रवासियों के लिए नागरिकता देने को उदार बनाता है, जिन्होंने 31 दिसंबर 2014 से पहले भारत में प्रवेश किया था।
कृष्णानगर से सांसद महुआ मोइत्रा ने न्यायालय से गुहार लगाई है कि अधिनियम से मुसलमानों का बहिष्कार और भेदभाव हुआ है और इसलिए संविधान के अनुच्छेद 14 का उल्लंघन है। अधिनियम धर्मनिरपेक्षता के सिद्धांतों का भी उल्लंघन करता है, जिन्हें संविधान की मूल संरचना का हिस्सा माना गया है।
अधिनियम पर सवाल उठाते हुए एक अन्य याचिका संयुक्त रूप से वकील एहतेशाम हाशमी, पत्रकार जिया यूएस सलाम और कानून के छात्रों मुनीब अहमद खान, अपूर्व जैन और अदील तालिब द्वारा दायर की गई है, जिसमें कहा गया है कि यह अधिनियम सरकार द्वारा मुस्लिमों के खिलाफ भेदभाव के उद्देश्य से पारित किया गया है।
इंडियन यूनियन मुस्लिम लीग और उसके चार सांसदों ने अधिनियम के खिलाफ गुरुवार को एक याचिका दायर की थी। हालांकि तब अधिनियम को राष्ट्रपति की अनुमति का इंतजार था। जन अधिक्कार पार्टी के महासचिव फैज अहमद ने भी शुक्रवार को अधिनियम के खिलाफ याचिका दायर की।
अधिनियम ने असम में बड़े पैमाने पर आक्रोश पैदा किया है। अधिनियम के खिलाफ स्थानीय लोगों के विरोध के जवाब में क्षेत्र में सेना बुलाई गई है। वहां इंटरनेट बंद भी कर दिया गया है।