विधायिका और न्यायपालिका को एक टीम के रूप में मिलकर काम करना चाहिए: कानून मंत्री किरेन रिजिजू

Update: 2022-04-09 10:06 GMT

केंद्रीय कानून और न्याय मंत्री किरेन रिजिजू ने शनिवार को कहा कि विधायिका और न्यायपालिका के बीच एक टीम वर्क होना चाहिए।

रिजिजू ने कहा,

"विधानमंडल और न्यायपालिका हम अलग-अलग हैं, लेकिन हमें एक साथ मिलकर काम करना चाहिए। हमारे बीच कोई दीवार नहीं होनी चाहिए, बल्कि टीम वर्क होना चाहिए। हम अलग-अलग अंग हैं लेकिन हमें एक साथ काम करने की जरूरत है, मेरा मानना है कि टीम वर्क महत्वपूर्ण है।"

किरेन रिजिजू गुजरात के नर्मदा के एकता नगर में "मध्यस्थता और सूचना प्रौद्योगिकी" पर दो दिवसीय राष्ट्रीय सम्मेलन के उद्घाटन समारोह में बोल रहे थे।

मंत्री ने जोर दिया,

"जब न्यायाधीश अदालत में होते हैं तो वे स्वतंत्र रूप से काम करते हैं। जब हम संसद में होते हैं, तो हम कानून बनाते हैं, लेकिन अगर हम अलग-अलग दिशाओं में काम करें और विधायिका और कार्यपालिका के बीच कोई समन्वय नहीं है तो यह मुश्किल होगा। टीम वर्क महत्वपूर्ण है।"

मंत्री ने कहा कि भारत के मुख्य न्यायाधीश रमना के साथ उनका अच्छा संबंध है। उन्होंने उल्लेख किया कि सर्वोच्च न्यायालय की ई-समिति ने कहा है कि उसे विभाग से अच्छा सहयोग मिला है।

मंत्री रिजिजू ने कहा,

"ई-समिति का नेतृत्व न्यायमूर्ति चंद्रचूड़ कर रहे हैं, और उन्होंने मुझे बताया था कि उन्हें मेरे विभाग और राज्य सरकारों से सहयोग मिला है।"

अपने भाषण के दौरान मंत्री ने न्यायिक लंबितता के संबंध में उठाई गई चिंताओं के बारे में बात की, और कहा कि मध्यस्थता जैसे वैकल्पिक विवाद समाधान तंत्र इसलिए महत्वपूर्ण हैं। आम वादी अपने मुकदमों की तारीख पाने के लिए न्यायिक व्यवस्था की औपचारिकताओं से जूझ रहे हैं, इसलिए अनौपचारिक न्याय प्रणाली महत्वपूर्ण है, क्योंकि वादियों को लंबे समय तक प्रतीक्षा करने की आवश्यकता नहीं है।

इस संबंध में उन्होंने मध्यस्थता विधेयक 2021 का उल्लेख किया, जिसे दिसंबर 2021 में संसद में पेश किया गया था, और कहा कि यह " परिवर्तन" ला सकता है।

उन्होंने कहा,

"मध्यस्थता विधेयक परिवर्तनकारी परिवर्तन ला सकता है। अभी विधेयक को कानून और न्याय की संसदीय स्थायी समिति के पास भेजा है, जब यह सरकार के पास वापस आता है तो हम इसे सभी आवश्यक इनपुट और संशोधनों के साथ आगे बढ़ाएंगे।"

उन्होंने कहा कि रामायण और महाभारत के दिनों से भारतीय परंपरा में मध्यस्थता रही है।

उन्होंने कहा,

"निम्नतम न्यायालय से लेकर उच्चतम न्यायालय तक विभिन्न अदालतों में बड़ी संख्या में लंबित मामलों के साथ सभी को तत्काल यह महसूस हुआ कि हमें एडीआर ( Alternative Dispute Resolution) देखना चाहिए।"

राष्ट्रपति राम नाथ कोविंद, भारत के मुख्य न्यायाधीश एनवी रमना, गुजरात उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश अरविंद कुमार, गुजरात के मुख्यमंत्री भूपेंद्रभाई पटेल ने भी इस कार्यक्रम में बात की।

समारोह में सुप्रीम कोर्ट के जज जस्टिस एल नागेश्वर राव, जस्टिस अब्दुल नजीर, जस्टिस एमआर शाह, जस्टिस विक्रम नाथ और जस्टिस बेला त्रिवेदी भी मौजूद थे।

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