मुख्यमंत्री ममता बनर्जी पर अवमानना कार्यवाही की याचिका AG की सहमति न मिलने पर वापस ली गई

Update: 2025-10-16 09:15 GMT

सुप्रीम कोर्ट को सूचित किया गया कि अटॉर्नी जनरल (AG) आर. वेंकटरमणि ने पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के खिलाफ आपराधिक अवमानना कार्यवाही शुरू करने की सहमति नहीं दी। यह कार्यवाही शिक्षकों की भर्ती घोटाले से जुड़े सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर उनकी टिप्पणी को लेकर मांगी गई थी।

जस्टिस बी.आर. गवई और जस्टिस के. विनोद चंद्रन, एन.वी. अंजारिया की पीठ धर्मार्थ ट्रस्ट आत्मदीप द्वारा दायर याचिका पर सुनवाई कर रही थी, जिसमें बनर्जी के खिलाफ आपराधिक अवमानना शुरू करने की मांग की गई।

आत्मदीप के वकील ने पीठ से याचिका वापस लेने की अनुमति मांगी, क्योंकि अटॉर्नी जनरल ने आपराधिक अवमानना शुरू करने के लिए सहमति नहीं दी थी।

उन्होंने कहा,

"हमें याचिका वापस लेने के निर्देश मिले हैं सहमति के लिए आवेदन किया गया लेकिन AG ने सहमति नहीं दी।"

इसे ध्यान में रखते हुए चीफ जस्टिस ने याचिका वापस लेने की अनुमति दी।

इससे पहले सीनियर एडवोकेट मनिंदर सिंह ने पीठ से मामले को टालने का अनुरोध किया था, क्योंकि आपराधिक अवमानना याचिका शुरू करने की सहमति प्राप्त करने के लिए अटॉर्नी जनरल के समक्ष एक मंजूरी अनुरोध दायर किया गया था।

पिछली सुनवाई में CJI ने मौखिक रूप से राजनीतिक लड़ाइयों को कोर्ट रूम से बाहर रखने की आवश्यकता पर भी टिप्पणी की थी।

यह अवमानना याचिका सुप्रीम कोर्ट के उस फैसले के संदर्भ में थी, जो इसी साल अप्रैल में आया।

जस्टिस संजीव खन्ना और जस्टिस संजय कुमार की खंडपीठ ने कलकत्ता हाईकोर्ट के उस फैसले को सही ठहराया था, जिसने पश्चिम बंगाल स्कूल सेवा आयोग (SSC) द्वारा 2016 में की गई लगभग 25,000 शिक्षण और गैर-शिक्षण कर्मचारियों की नियुक्तियों को रद्द कर दिया था। कोर्ट ने हाईकोर्ट के इस निष्कर्ष को बरकरार रखा था कि चयन प्रक्रिया धोखाधड़ी से दूषित थी। इसे सुधारा नहीं जा सकता था, जिसके चलते सभी नियुक्तियों को एकमुश्त रद्द कर दिया गया।

अवमानना याचिकाकर्ता ने आरोप लगाया कि मुख्यमंत्री ने सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले के संबंध में कुछ आपत्तिजनक टिप्पणियां की थीं।

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