उत्तर प्रदेश में वन क्षेत्र को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने राज्य सरकार को लगाई फटकार, कहा 26 साल सोती रही सरकार

Update: 2019-09-19 16:26 GMT

उत्तर प्रदेश में सरंक्षित वन क्षेत्र में उद्योगों व अन्य को भूमि आवंटन करने के मुद्दे पर सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को राज्य सरकार को जमकर फटकार लगाई है। जस्टिस अरुण मिश्रा की अगुवाई वाली पीठ ने राज्य सरकार की ओर से पेश वकील को कहा, "आप राज्य में 26 साल से सो रहे हैं .. आप सोते ही रहिए। इसके गंभीर परिणाम होंगे।"

यूपी सरकार की अदालत से क्या थी मांग

दरअसल उत्तर प्रदेश सरकार ने शीर्ष अदालत से उन लोगों के दावों को रद्द करने के लिए कहा है जिन्हें सितंबर 1994 के बाद "सरंक्षित वन भूमि" में भूमि आवंटित की गई थी। यूपी सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में आवेदन दाखिल कर कहा था कि सुप्रीम कोर्ट ने 18 जुलाई 1994 के बाद रेनुकूट- मिर्जापुर आरक्षित वन क्षेत्र में वन भूमि के लिए किए गए सभी दावों को रद्द कर दिया था। लेकिन इसके बाद भी अधिकारी और जज ये आवंटन कर रहे हैं। इसलिए इन्हें रद्द किया जाए।

राज्य से मांगी गई सूची; राज्य देने में रहा असमर्थ

इस पर पीठ ने आवंटित की गई भूमि की सूची मांगी जो राज्य सरकार के पास नहीं थी। इस पर पीठ ने कहा, "वन अधिकारी अभी भी सरंक्षित भूमि पर दावा करने की अनुमति देने के आदेश क्यों दे रहे हैं? क्या आप अपने स्वयं के अधिकारियों को नियंत्रित नहीं कर सकते हैं? इससे पहले कि हम कोई आदेश जारी करें, हमें आवंटियों को सुनना होगा।"

"अन्य पक्षकारों को सुने बिना नहीं दिया जा सकता कोई फैसला"

इसके बाद पीठ ने कहा कि पहले सरकार सोती रही और अब चाहती है कि सुप्रीम कोर्ट एक पक्षीय तौर पर आदेश जारी कर दे। पीठ ने कहा कि यहां हजार करोड़ का निवेश हुआ होगा। NTPC और UPSEB जैसी संस्थाएं भी वहां हैं। उन्हें पहले सुनना होगा और उसके बाद ही इसका फैसला होगा। पीठ ने यूपी सरकार को आवंटियों की सूची लाने को कहा है और मामले को अगले सप्ताह सुनवाई के लिए सूचीबद्ध किया है।  

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