पीड़ित के बेटे के साथ 'समझौते' के आधार पर हत्या के आरोपी को जमानत, गुजरात हाईकोर्ट के फैसले पर सुप्रीम कोर्ट हैरान
सुप्रीम कोर्ट ने हाल ही में गुजरात हाइकोर्ट के एक आदेश पर आश्चर्य व्यक्त किया। गुजरात हाईकोर्ट ने हत्या के एक मामले में एक आरोपी को उसके और मूल शिकायतकर्ता (मृतक के बेटे) के बीच 'समझौते' के आधार पर जमानत दे दी थी।
कोर्ट ने इतने बड़े पैमाने पर गंभीर आपराधिक मामलों को व्यक्तिगत निपटान की अनुमति देने के औचित्य पर सवाल उठाया। साथ ही कोर्ट ने गंभीर अपराधों के आरोपी किसी व्यक्ति इस आधार पर जमानत देने कि उसका अपराध का पूर्व इतिहास नहीं है, के निहितार्थ पर सवाल उठाया।
कोर्ट ने कहा,
"अजीब बात है कि सिंगल जज की बेंच ने जिन बिंदुओं पर विचार किया है, उनमें से एक में यह तथ्य शामिल है कि प्रतिवादी नंबर 2 ने मूल शिकायतकर्ता के साथ एक समझौता किया है, वह भी आईपीसी की धारा 302 के तहत अपराध के संबंध में, और मूल शिकायतकर्ता के हलफनामे ने उस समझौते की पुष्टि की है।
एक अन्य बिंदु, जिस पर हाईकोर्ट ने विचार किया है वह यह तथ्य है कि प्रतिवादी नंबर 2 का अपराध का कोई पुरान इतिहास नहीं है। सबसे बढ़कर, विद्वान अतिरिक्त लोक अभियोजक ने हाईकोर्ट के समक्ष प्रस्तुत किया कि राज्य प्रतिवादी नंबर 2 के खिलाफ किसी भी विशेष परिस्थिति को रिकॉर्ड पर लाने में असमर्थ है।"
सुप्रीम कोर्ट ने जमानत आदेश को चुनौती न देने के लिए गुजरात राज्य की भी आलोचना की।
मौजूदा मामले में जस्टिस हिमा कोहली और जस्टिस राजेश बिंदल की पीठ अपराध में घायल हुए एक व्यक्ति की ओर से दायर अपील पर सुनवाई कर रही थी। अपराध 17 सितंबर, 2021 को हुआ, जब आरोपी ने परवीनभाई और अपीलकर्ता पर हमला किया। परवीनभाई ने बाद में चोटों के कारण दम तोड़ दिया।
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि जमानत पर रहते हुए भी, प्रतिवादी को एक अन्य एफआईआर के सिलसिले में फिर से गिरफ्तार किया गया था। इन परिस्थितियों को ध्यान में रखते हुए, सुप्रीम कोर्ट ने कड़ा रुख अपनाते हुए कहा कि प्रतिवादी इस विशेष मामले में किसी भी राहत का हकदार नहीं है।
अदालत ने बताया कि प्रतिवादी ने आईपीसी की धारा 302 के तहत गंभीर अपराध के लिए जमानत पर रिहा होने से पहले केवल छह महीने (23 सितंबर 2021 से 18 फरवरी 2022 तक) हिरासत में बिताए थे। न्यायालय ने प्रतिवादी के पुराने इतिहास पर भी विचार किया, जिससे आपराधिक प्रवृत्ति का संकेत मिलता है।
इन्हीं टिप्पणियों के साथ कोर्ट ने विवादित आदेश को रद्द कर दिया और प्रतिवादी को ट्रायल कोर्ट के समक्ष शीघ्र आत्मसमर्पण करने का निर्देश दिया। जमानत को चुनौती न देने के लिए गुजरात राज्य की आलोचना करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने निर्देश दिया कि आदेश की प्रति राज्य के गृह सचिव को भेजी जाए।
केस टाइटल: भरवाड सनोत्शभाई सोंडाभाई बनाम गुजरात राज्य| क्रिमिनल अपील नंबर 2495/2023
साइटेशन: 2023 लाइव लॉ (एससी) 728