एक्सपर्ट कमेटी के गठन में 'लापरवाहीपूर्ण दृष्टिकोण' को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय के सचिव को तलब किया

राजस्थान में ओरण (पवित्र उपवन) की पहचान के लिए एक्सपर्ट कमेटी के गठन के संबंध में अपनाए गए "लापरवाहीपूर्ण दृष्टिकोण" से नाखुश सुप्रीम कोर्ट ने 16 अप्रैल को पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय (MoEFCC) के सचिव को तलब किया।
सचिव 29 अप्रैल को न्यायालय के समक्ष उपस्थित होंगे और कारण बताएंगे कि उनके खिलाफ अवमानना कार्यवाही क्यों न शुरू की जाए।
जस्टिस बीआर गवई और जस्टिस एजी मसीह की खंडपीठ ने टीएन गोदावर्मन मामले (वन संरक्षण से जुड़ा व्यापक मामला) में दायर आवेदनों पर विचार करते हुए यह आदेश पारित किया।
आदेश में कहा गया:
"पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय (MoEF&CC) के सचिव को नोटिस जारी कर उन्हें 29.04.2025 को प्रातः 10.30 बजे इस न्यायालय में व्यक्तिगत रूप से उपस्थित रहने तथा कारण बताने का निर्देश दिया जाता है कि उनके विरुद्ध इस न्यायालय के दिनांक 16.01.2025 के आदेश की अवमानना करने के लिए कार्रवाई क्यों न की जाए।"
मामले में दिखाए गए "उदासीन दृष्टिकोण" की आलोचना करते हुए न्यायालय ने कहा,
"रिकॉर्ड के अवलोकन से ऐसा प्रतीत होता है कि MoEF&CC इस मामले को लापरवाही से ले रहा है। जब इस न्यायालय ने दिनांक 16.01.2025 के आदेश के माध्यम से विशेष रूप से 19.03.2025 से पहले निर्णय लेने का निर्देश दिया था तो MoEF&CC को निर्णय लेना चाहिए था।"
बता दें कि पिछली कार्यवाही में न्यायालय ने MoEF&CC तथा वन विभाग को राजस्थान में ओरण पहचान के लिए कमेटी गठित करने को कहा था।
तदनुसार, राज्य ने निम्नानुसार एक एक्सपर्ट कमेटी के गठन की सिफारिश की:
- अध्यक्ष: माननीय जस्टिस (रिटायर) दलीप सिंह, राजस्थान हाईकोर्ट के पूर्व जज।
- डोमेन विशेषज्ञ: मिस्टर एम.आर. बलूच, आईएफएस (रिटायर), पीसीसीएफ और पूर्व निदेशक, एएफआरआई, जोधपुर।
- मुख्य वन संरक्षक, (वन बंदोबस्त और कार्य योजना), जयपुर।
- बंदोबस्त आयुक्त, भूमि बंदोबस्त विभाग, राजस्थान।
प्रस्ताव की सिफारिश 8 जनवरी को मंत्रालय को की गई थी। इसके बाद 16 जनवरी को न्यायालय ने पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय को 19 मार्च तक एक्सपर्ट कमेटी के गठन के संबंध में अंतिम निर्णय लेने के लिए कहा।
न्यायालय ने अपने आदेश में कहा,
"यह उचित होगा कि पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय इस मुद्दे को जल्द से जल्द संबोधित करे और एक्सपर्ट कमेटी के गठन के संबंध में अंतिम निर्णय ले। हम पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय को 19.03.2025 से पहले निर्णय लेने और इस न्यायालय को अनुपालन की रिपोर्ट देने का निर्देश देते हैं।"
19 मार्च को MoEFCC के वकील ने 16 अप्रैल तक का समय मांगा। हाल ही में (16 अप्रैल को), जब ASG अर्चना पाठक दवे (MoEFCC का प्रतिनिधित्व करते हुए) यह बताने में असमर्थ रहीं कि कमेटी गठित की गई या नहीं, तो न्यायालय ने मंत्रालय के सचिव को तलब किया।
केस टाइटल: IN RE : T.N. गोदावरमण थिरुमुलपाद बनाम भारत संघ, W.P.(C) नंबर 202/1995