इतनी संकीर्ण मानसिकता वाले न बनें: सुप्रीम कोर्ट ने भारत में पाकिस्तानी कलाकारों की काम करने पर प्रतिबंध लगाने की मांग वाली याचिका खारिज की
सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार (28 नवंबर) को पाकिस्तानी कलाकारों को भारत में ककाम करने की मांग वाली याचिका पर विचार करने से इनकार कर दिया।
जस्टिस संजीव खन्ना और जस्टिस एसवीएन भट्टी की खंडपीठ सिने कर्मी फैज़ अनवर कुरेशी द्वारा दायर याचिका पर सुनवाई कर रही थी, जिसमें बॉम्बे हाईकोर्ट के फैसले को चुनौती दी गई थी, जिसने उनकी इस तरह की याचिका खारिज कर दी थी।
जस्टिस खन्ना ने मामले की सुनवाई शुरू होते ही वकील से कहा,
"आपको (इस याचिका पर) दबाव नहीं डालना चाहिए..."
वकील ने कहा कि हाईकोर्ट ने फैसले के पैराग्राफ 10 में याचिकाकर्ता की देशभक्ति की धारणा की आलोचना करते हुए कुछ टिप्पणियां की हैं।
जस्टिस खन्ना ने जवाब दिया,
"माफ करें, ऐसा न करें। यह आपके लिए एक अच्छा सबक है। इतनी संकीर्ण मानसिकता वाले न बनें।"
याचिका को खारिज करते हुए हाईकोर्ट की खंडपीठ ने कहा:
"किसी को यह समझना चाहिए कि देशभक्त होने के लिए, किसी को विदेश में रहने वाले लोगों, विशेषकर पड़ोसी देश के लोगों के प्रति शत्रुतापूर्ण होने की आवश्यकता नहीं है। एक सच्चा देशभक्त वह व्यक्ति है, जो निस्वार्थ है, जो अपने देश के लिए समर्पित है, जो वह नहीं कर सकता हो, जब तक कि वह दिल का अच्छा व्यक्ति न हो। एक व्यक्ति जो दिल का अच्छा है, वह अपने देश में किसी भी गतिविधि का स्वागत करेगा, जो देश के भीतर और सीमा पार नृत्य, कला, संगीत, खेल, संस्कृति, शांति, सद्भाव और शांति इत्यादि को बढ़ावा देता है। ऐसी गतिविधियां हैं, जो राष्ट्रीयताओं, संस्कृतियों और राष्ट्रों से ऊपर उठती हैं और वास्तव में राष्ट्र और राष्ट्रों के बीच शांति, एकता और सद्भाव लाती हैं। यह याचिका, राहतों के साथ जो चाहती है, वह सांस्कृतिक सद्भाव, एकता और शांति को बढ़ावा देने की दिशा में प्रतिगामी कदम है। इस याचिका में कोई सुनवाई योग्यता नहीं है।
याचिकाकर्ता ने अपनी याचिका में पुलवामा आतंकी हमलों के बाद ऑल-इंडियन सिने वर्कर्स एसोसिएशन (AICWA) द्वारा पारित प्रस्ताव और इंडियन मोशन पिक्चर्स प्रोड्यूसर्स एसोसिएशन (IMPPA) और फेडरेशन ऑफ वेस्टर्न इंडियन सिने एम्प्लॉइज (FWICE) द्वारा इसी तरह के प्रस्तावों पर प्रकाश डाला, जिसने भारतीय फिल्म उद्योग में पाकिस्तानी कलाकारों पर प्रतिबंध लगा दिया। याचिका में कहा गया कि एमएनएस सिनेमा विंग ने फिल्म निर्माताओं को पाकिस्तानी कलाकारों को काम पर रखने के खिलाफ भी आगाह किया है।
हाईकोर्ट ने रेखांकित किया कि प्राइवेट ऑर्गेनाइजेशन के प्रस्तावों में वैधानिक शक्ति का अभाव है और उन्हें न्यायिक आदेशों के माध्यम से लागू नहीं किया जा सकता है। अदालत ने इस बात पर जोर दिया कि इस तरह के प्रतिबंध लागू करने से संविधान के अनुच्छेद 19(1)(ए), 19(1)(जी), और 21 के तहत गारंटीकृत मौलिक अधिकारों का उल्लंघन होगा।
केस टाइटल: फ़ैज़ अनवर क़ुरैशी बनाम भारत संघ एसएलपी (सी) नंबर 25410/2023