अयोध्या मामला : धवन ने क्लर्क को धमकी की बात बताई, UP के मंत्री के बयान सुनाए, CJI ने कहा ऐसे बयानों की निंदा करते हैं

Update: 2019-09-12 08:09 GMT

अयोध्या में रामजन्मभूमि-बाबरी मस्जिद भूमि विवाद मामले की सुनवाई के दौरान मुस्लिम पक्षकारों की ओर से पेश वरिष्ठ वकील राजीव धवन ने एक बार फिर धमकी का मामला उठाया और संविधान पीठ को बताया कि उनके क्लर्क को कोर्ट के बाहर धमकी दी जा रही है।

उन्होंने उत्तर प्रदेश सरकार के एक मंत्री के बयानों की ओर भी कोर्ट का ध्यान दिलाया| उन्होंने बताया कि मंत्री ने कहा कि अयोध्या हिंदुओं की है, मंदिर भी उनका है और सुप्रीम कोर्ट भी उनका ही है। उन्होंने कहा, "ऐसे गैर-अनुकूल माहौल में बहस करना मुश्किल हो गया है। मैं अवमानना के बाद अवमानना दायर नहीं कर सकता। हमने पहले ही 88 साल के व्यक्ति के खिलाफ अवमानना दायर की है।"

इस पर मुख्य न्यायाधीश (CJI) ने टिप्पणी करते हुए कहा, "हम कोर्ट के बाहर ऐसे बयानों की निंदा करते हैं। देश में ये क्या हो रहा है। ऐसा नहीं होना चाहिए। हम इस तरह के बयानों को रद्द करते हैं। "

कोर्ट ने कहा कि दोनों पक्ष अपनी दलीलें कोर्ट में रखने के लिए स्वतंत्र हैं। CJI ने धवन से पूछा कि क्या वो सुरक्षा चाहते हैं। धवन ने इनकार करते हुए कहा कि सुप्रीम कोर्ट का भरोसा दिलाना ही काफी है।

धवन दायर कर चुके हैं अवमानना ​​याचिका

इससे पहले तीन सितंबर को सुप्रीम कोर्ट की संविधान पीठ ने सुनवाई करते हुए वरिष्ठ वकील राजीव धवन द्वारा दायर अवमानना ​​याचिका पर 88 वर्षीय प्रोफेसर एन शनमुगम को नोटिस जारी कर जवाब मांगा था।

मुख्य न्यायाधीश रंजन गोगोई, जस्टिस एस ए बोबडे,जस्टिस डी वाई चंद्रचूड़, जस्टिस अशोक भूषण और जस्टिस एस ए नज़ीर की संविधान पीठ ने अवमानना नोटिस जारी करते हुए दो सप्ताह में जवाब मांगा था।

यह याचिका वरिष्ठ वकील धवन ने दायर की थी जिसमें आरोप लगाया गया था कि उन्हें अयोध्या-बाबरी मस्जिद विवाद में मुस्लिम पक्षों का प्रतिनिधित्व करने के लिए धमकी दी गई थी। धवन ने याचिका में कहा है कि उन्हें 14 अगस्त को चेन्नई के एक प्रोफेसर एन शनमुगम का पत्र मिला जिसमें उन्हें मुस्लिम पक्षकारों के लिए कोर्ट में पेश होने के लिए धमकी दी गई थी।

88 वर्षीय प्रोफेसर द्वारा कथित रूप से लिखे गए पत्र में पूछा गया था कि धवन कैसे "अयोध्या में उनके तथाकथित अधिकार" के लिए मुसलमानों की ओर से पेश होकर " विश्वासघात" कर सकते हैं। पत्र में वरिष्ठ वकील को शाप दिया गया और कहा गया कि वह "अपनी करनी के लिए कीमत चुकाएंगे।" उन्होंने कहा कि संजय कलई बजरंगी द्वारा भी व्हाट्सएप में धमकी भरे संदेश भेजे गए थे।

" यह उल्लेख किया जाना चाहिए कि याचिकाकर्ता को घर पर और अदालत परिसर में कई व्यक्तियों द्वारा धमकी भरे व्यवहार का सामना करना पड़ रहा है," उन्होंने कहा। याचिका में कहा गया है कि "डराने वाले पत्र" के जरिए किसी वकील को उसके कर्तव्यों का निर्वहन करने पर धमकी देना न्याय प्रशासन के कामकाज में हस्तक्षेप के समान है। 

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