TTZ : सुप्रीम कोर्ट ने रेलवे लाइन बिछाने के लिए 453 पेड़ काटने की सशर्त इजाजत दी

Update: 2019-12-11 07:08 GMT

एक अहम कदम उठाते हुए सुप्रीम कोर्ट ने रेलवे को दिल्ली-मथुरा-आगरा लाइन पर एक नया रेलवे ट्रैक बिछाने के लिए लगभग 30 किलोमीटर ताज ट्रेपेज़ियम ज़ोन (TTZ) में 453 पेड़ों को काटने की अनुमति दी है लेकिन शर्त भी लगाई है कि काटे पेड़ों की जगह पर नए पेड़ लगाए जाएं।

मुख्य न्यायाधीश एसए बोबडे की अध्यक्षता वाली पीठ ने नेशनल लीगल सर्विस अथॉरिटी के सदस्य सचिव को निर्देश दिया कि वो इस स्थल का दौरा करने के लिए एक अधिकारी की नियुक्ति करें और मुआवजे के रूप में उत्तर रेलवे द्वारा लगाए गए पेड़ों का निरीक्षण करें।

बुधवार को शीर्ष अदालत ने कहा कि अधिकारी इस बात पर ध्यान देंगे कि क्या पौधारोपण किया जा रहा है और पौधे पोषित हो रहे हैं या नहीं, क्या किसी भी पौधे की मृत्यु हुई है और क्या मृत पौधे बदले गए हैं ?

सुप्रीम कोर्ट ने CEC यानी सेंट्रल एम्पावर्ड कमेटी का इस मुद्दे का हवाला दिया जिसमें प्रस्तावित रेलवे लाइन के 30 KM TTZ ज़ोन में रखने की सिफारिश की गई थी और कहा था कि रेलवे द्वारा वनीकरण कार्य किया जाना है।

मुख्य न्यायाधीश एसए बोबडे ने कहा, 

हमने कुछ क्षेत्रों में देखा है कि आप पौधों को पानी नहीं देते हैं। CJI ने कहा, " हम एक प्राधिकरण चाहते हैं जो निरीक्षण करे और हमें रिपोर्ट करे कि क्या पौधों को पानी दिया गया है और हर तीन महीने में  सुप्रीम कोर्टको रिपोर्ट सौंपें।"

शीर्ष अदालत ने कहा कि नई रेलवे लाइन के महत्व के बारे में कोई संदेह नहीं है। 453 पेड़ों को काटने की अनुमति शर्तों के अधीन होगी और इसके बदले में वनीकरण किया जाना चाहिए।बेंच ने प्रत्येक तीन महीने के भीतर अधिकारी से स्थिति रिपोर्ट मांगी है।

वहीं पीठ ने याचिकाकर्ता और पर्यावरणविद् एमसी मेहता और एनईईआरआई को आगरा शहर में खुली नालियों की समस्या और सीवर के ओवरफ्लो होने की समस्या पर सुधारात्मक कार्रवाई के साथ छह सप्ताह के भीतर निरीक्षण करने और रिपोर्ट देने को कहा है। 

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