रविदास मंदिर मामला : सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली, हरियाणा और पंजाब को कानून-व्यवस्था बनाए रखने का आदेश दिया

Update: 2019-08-19 14:31 GMT

दिल्ली के तुगलकाबाद स्थित रविदास मंदिर को ढहाए जाने के मामले में सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली, हरियाणा और पंजाब सरकार को कानून- व्यवस्था बनाए रखने के निर्देश जारी किए हैं। पीठ ने यह साफ कहा है कि उसके आदेशों के तहत गिराए गए मंदिर पर राजनीति नहीं की जा सकती है।

केंद्र ने अदालत को बताया मंदिर गिराए जाने के बाद विरोध प्रदर्शन का हाल

सोमवार को मामले की सुनवाई करते हुए जस्टिस अरुण मिश्रा की पीठ ने कहा कि कोर्ट के आदेशों को धरती पर कोई भी राजनीतिक रंग नहीं दे सकता। पीठ ने ये टिप्पणी उस समय की जब केंद्र की ओर से यह बताया गया कि कोर्ट के आदेश के मुताबिक मंदिर को ढहा दिया गया है जबकि 18 संगठनों ने इस दौरान कार्रवाई का विरोध किया। दिल्ली, हरियाणा और पंजाब में इसका विरोध हो रहा है इसलिए इन सरकारों को निर्देश दिए जाए कि वो कानून व्यवस्था के मुद्दों की देखभाल करें। पीठ इस मामले की सुनवाई 3 सप्ताह के बाद करेगा।

कोर्ट ने दी थी अवमानना कार्यवाही शुरू करने की चेतावनी

पिछले हफ्ते सुप्रीम कोर्ट ने अपने आदेश में तुगलकाबाद वन क्षेत्र में गुरु रविदास मंदिर के ढहाए जाने का राजनीतिकरण करने के खिलाफ चेतावनी दी थी और धरना और प्रदर्शन करने वालों के खिलाफ अवमानना कार्यवाही शुरू करने की चेतावनी दी थी। पीठ ने यह कहा था कि वह अवमानना कार्यवाही शुरू कर सकता है। जब समिति की ओर से पेश वकील ने पंजाब में इस मुद्दे पर आंदोलन का हवाला दिया तो पीठ ने यह कहा, "हमें नहीं लगता कि हम शक्तिहीन हैं। हम इस मुद्दे की गंभीरता को जानते हैं। एक शब्द भी न बोलें और इस मुद्दे को न बढ़ाएं। आप अवमानना के लिए हैं। हम आपके पूरे प्रबंधन को खत्म कर देंगे। हम देखेंगे कि क्या करना है।"

क्या है यह मामला

दरअसल दिल्ली के तुगलकाबाद स्थित रविदास के मंदिर को डीडीए द्वारा ढहा दिया गया था। डीडीए का यह दावा रहा है कि मंदिर अवैध तरीके से कब्ज़ा की गई ज़मीन पर बना था। सुप्रीम कोर्ट ने बीते 9 अगस्त को सुनवाई के दौरान दिल्ली पुलिस और दिल्ली सरकार को यह सुनिश्चित कराने का आदेश दिया था कि 13 अगस्त से पहले मंदिर गिरा दिया जाए।

इसके बाद 10 अगस्त को मंदिर गिरा दिया गया। संत रविदास जयंती समिति समारोह के ज़मीन पर दावे को सबसे पहले ट्रायल कोर्ट ने 31 अगस्त 2018 को ख़ारिज किया था और 20 नवंबर 2018 को दिल्ली हाई कोर्ट ने भी निचली अदालत के फैसले को बरकरार रखा।

वहीं इस साल 08 अप्रैल को हुई सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने हाई कोर्ट के फैसले को पलटने से इंकार करते हुए मंदिर गिराए जाने का आदेश दिया था। डीडीए का यह दावा था कि दिल्ली लैंड रिफॉर्म एक्ट 1954 के बाद ज़मीन केंद्र की हो गई है। डीडीए ने हाई कोर्ट को यह भी बताया था कि राजस्व रिकॉर्ड में समिति के मालिकाना हक़ का कोई साक्ष्य मौजूद नहीं है। डीडीए ने यह दलील भी दी कि विवादित ज़मीन वन क्षेत्र है इस वजह से वहां किसी तरह के निर्माण को नहीं हो सकता। वहीं समिति का यह दावा था कि मंदिर पर मालिकाना हक उसका है।  

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