नीलगिरी में रिसॉर्टस का मामला : सुप्रीम कोर्ट ने कहा, हाथियों को रास्ता दे मनुष्य

Update: 2020-01-22 13:45 GMT

सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को कहा है कि वो किसी को भी हाथी के रास्ते में आने नहीं देगा और मनुष्य को को हाथियों को रास्ता देना ही चाहिए।

दरअसल तमिलनाडु के नीलगिरी वन क्षेत्र में अधिसूचित हाथियों के गलियारे में अवैध रूप से निर्मित रिसॉर्ट्स को सील करने से संबंधित मामलों की सुनवाई के दौरान मुख्य न्यायाधीश एस ए बोबडे की पीठ ने  ये टिप्पणियां कीं।

रिज़ॉर्ट मालिकों द्वारा अपने रिसॉर्ट्स को सील करने के खिलाफ दायर याचिकाओं के बैच पर अपना फैसला सुरक्षित रखते हुए पीठ ने संकेत दिया है कि यह हाईकोर्ट के रिटायर्ड जज की अध्यक्षता में तीन सदस्यीय पैनल नियुक्त करेगा जो याचिकाकर्ताओं - रिसॉर्ट मालिकों की शिकायतों की जांच करेगा और क्षेत्र को खाली करने व मुआवजे पर भी विचार करेगा। पीठ ने पक्षकारों से पैनल के गठन के लिए सुझाव मांगे हैं।

गौरतलब है कि शीर्ष अदालत ने पिछले साल अगस्त में नीलगिरी पहाड़ियों में रिसॉर्ट्स को सील करने का आदेश दिया था,  जब कलेक्टर ने हाथियों के गलियारे पर कथित अवैध निर्माणों पर एक रिपोर्ट सौंपी थी।

वहीं सुनवाई के दौरान रिसॉर्ट मालिकों ने तर्क दिया कि उन्हें सभी अनुमति मिल गई थी लेकिन फिर भी उनके रिसॉर्ट्स को सील कर दिया गया है। वरिष्ठ वकील सलमान खुर्शीद ने कहा कि ये जमीन सरंक्षित वन क्षेत्र नहीं है बल्कि निजी वन क्षेत्र है।

मुख्य न्यायाधीश ने कहा,

"हाथी सज्जन है। वो विशाल और शक्तिशाली लेकिन नाजुक होता है और वहां रहने वाले लोग हाथी को मारना चाहते हैं। हम नाजुक ईको सिस्टम के साथ काम कर रहे हैं। इसमें रुपये भी शामिल हैं। देखिए कि कैसे असम में गैंडों का शिकार किया जाता है।"

मुख्य न्यायाधीश ने कहा, "मनुष्य को हाथी को रास्ता देना चाहिए।"  तीन जजों की पीठ के जल्द ही आदेश पारित करने की संभावना है।

पीठ ने ये भी साफ किया कि वो इलाके में बने ढांचों को हटाने पर मुआवजा देने पर भी विचार करेगा लेकिन ये विचार सिर्फ 30 साल पुराने वैध ढांचों पर ही लागू हो सकता है।

दरअसल 1996 में ए रंगराजन द्वारा मूल रिट याचिका और एक्टिविस्ट  एलिफेंट 'राजेंद्रन और 2007-08 में एनजीओ नीलगिरी वाइडलाइफ प्रोटेक्शन द्वारा दो जनहित याचिका दाखिल की गई थीं।

मद्रास उच्च न्यायालय में दशकों से चल रही अदालती लड़ाई के बाद अब ये मामला सुप्रीम कोर्ट के समक्ष हैं। इन सभी याचिकाओं पर एक साथ सुनवाई हुई है।

2011 में मद्रास उच्च न्यायालय ने नीलगिरी हाथी गलियारे में सभी रिसॉर्ट और अवैध निर्माणों को बंद करने का आदेश पारित किया था। राज्य सरकार ने उस आशय का आदेश भी जारी किया लेकिन रिसॉर्ट मालिकों ने सर्वोच्च न्यायालय में अपील की और इस पर रोक लगा दी गई।

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