राजनीति के अपराधीकरण से चिंतित सुप्रीम कोर्ट, दागियों के चुनाव लड़ने पर रोक की याचिका का परीक्षण करने को तैयार

Update: 2020-01-25 05:46 GMT

राजनीति के अपराधीकरण से चिंतित सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को इस मुद्दे का परीक्षण करने पर सहमति जताई है कि क्या राजनीतिक पार्टियों को आपराधिक पृष्ठभूमि वाले लोगों को चुनाव में टिकट देने से रोका जा सकता है।

जस्टिस आर एफ नरीमन और जस्टिस एस रवींद्र भट की पीठ ने इसे राष्ट्रहित का मामला बताते हुए कहा कि इस समस्या को रोकने के लिए कुछ कदम उठाने होंगे।

पीठ ने चुनाव आयोग और याचिकाकर्ता अश्विनी उपाध्याय को एक सप्ताह के भीतर के सामूहिक प्रस्ताव देने के निर्देश दिए हैं।

आपराधिक केसों की जानकारी वेबसाइट पर जारी करने का हुआ था आदेश

दरअसल पीठ वकील और भाजपा नेता अश्विनी उपाध्याय की अवमानना याचिका पर सुनवाई कर रही थी जिसमें कहा गया था कि इस मामले में 2018 में सुप्रीम कोर्ट ने आदेश दिया था कि आपराधिक पृष्ठभूमि वाले उम्मीदवार और उनकी राजनीतिक पार्टियां आपराधिक केसों की जानकारी वेबसाइट पर जारी करेंगी और नामांकन दाखिल करने के बाद कम से कम तीन बार इसके संबंध में अखबार और टीवी चैनलों पर देना होगा लेकिन इस संबंध में कदम नहीं उठाया गया।

चुनाव आयोग की ओर से पेश वरिष्ठ वकील विकास सिंह ने पीठ को बताया कि अदालती आदेश का कोई असर नहीं हुआ है क्योंकि 2019 में लोकसभा चुनाव जीतने वाले 43 फीसदी नेता आपराधिक मामलों का सामना कर रहे हैं। ऐसे में बेहतर तरीका ये है कि राजनीतिक दलों को ही कहा जाए कि वो ऐसे उम्मीदवारों को ना चुनें। पीठ ने इससे सहमति जताते हुए कहा कि ये अच्छा सुझाव है। पीठ ने दोनों पक्षों के वकीलों को बैठकर एक सुझाव देने को कहा है। 

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