सुप्रीम कोर्ट ने अवैध विध्वंस का आरोप लगाने वाली अवमानना ​​याचिका पर नोटिस जारी किया; यथास्थिति बनाए रखने का आदेश दिया

Update: 2025-04-21 14:35 GMT
सुप्रीम कोर्ट ने अवैध विध्वंस का आरोप लगाने वाली अवमानना ​​याचिका पर नोटिस जारी किया; यथास्थिति बनाए रखने का आदेश दिया

सुप्रीम कोर्ट ने राजस्थान के अधिकारियों पर संपत्ति के अवैध विध्वंस का आरोप लगाने वाली याचिका पर नोटिस जारी किया और एक अवमानना ​​याचिका पर यथास्थिति बनाए रखने का आदेश दिया। याचिका में कहा गया कि राज्य सरकार की यह कार्यवाही 'बुलडोजर मामले' में कोर्ट के 13 नवंबर के फैसले का उल्लंघन है।

जस्टिस बीआर गवई और जस्टिस एजी मसीह की खंडपीठ ने याचिकाकर्ता की ओर से सीनियर एडवोकेट संजय हेगड़े की दलीलें सुनने के बाद यह आदेश पारित किया।

सुनवाई की शुरुआत में जस्टिस गवई ने सवाल किया कि याचिकाकर्ता ने अधिकार क्षेत्र वाले हाईकोर्ट का रुख क्यों नहीं किया।

जस्टिस ने पूछा,

"आप हाईकोर्ट क्यों नहीं जाते? हर याचिका यहां क्यों दायर की जाती है? इस तरह एक साल बाद भी इनका नंबर नहीं आएगा।"

जवाब में हेगड़े ने प्रस्तुत किया कि न्यायालय ने पहले ही 2 समान याचिकाओं में नोटिस जारी किया है, जो महीने के अंत में आने वाली हैं। इसके अलावा, उन्होंने तर्क दिया कि वर्तमान मामले में याचिकाकर्ता के संपत्ति पर स्वामित्व के संबंध में न्यायालय का आदेश मौजूद है और संबंधित नियमितीकरण राशि का भुगतान किया गया है। साथ ही अधिकारियों को सभी तथ्यों का विवरण देते हुए नोटिस दिया गया, लेकिन फिर भी अगले दिन संपत्ति को ध्वस्त कर दिया गया।

कहा गया,

"इसके बावजूद, कलेक्टर ने मना कर दिया। कई मामलों में कलेक्टर युवा होते हैं, गर्म खून वाले... ऐसे भी वक्त होता है जब केवल हाईकोर्ट जाना पर्याप्त नहीं हो सकता। यदि माननीय जज उनसे उनके आचरण के बारे में स्पष्टीकरण मांगें..."

सीनियर वकील ने आगे दावा किया कि "संक्रमण" (न्यायालय के 13 नवंबर के फैसले का उल्लंघन करते हुए विध्वंस का) फैलता हुआ प्रतीत होता है, "चाहे हम कुछ भी करें, हमारे प्रयास कुछ भी हों, वे कभी-कभी सोचते हैं...यह लगभग अंग्रेजी वाक्यांश 'पानी में लिखा हुआ' (आसानी से भूल जाने वाला) जैसा है...हम अपना सिर पीटते रहते हैं।"

अंततः, पीठ ने याचिका पर नोटिस जारी किया। इस तर्क के जवाब में कि पास का पशु चिकित्सालय उस भूमि पर कब्जा करना चाहता है, जिस पर ध्वस्त संपत्ति पहले थी। इसने यह भी आदेश दिया कि साइट पर यथास्थिति बनाए रखी जाएगी।

AoR अनस तनवीर के माध्यम से दायर याचिका में राजस्थान के जैसलमेर में पशु चिकित्सालय के पास एयर फोर्स रोड पर एक संपत्ति के विध्वंस का विरोध किया गया। यह दावा किया गया कि याचिकाकर्ता के स्वामित्व को मान्यता देने वाले न्यायालय के आदेश और अधिकारियों को नियमितीकरण राशि का भुगतान किए जाने के बावजूद उक्त संपत्ति को ध्वस्त कर दिया गया।

कहा गया,

"प्रतिवादियों ने इस माननीय न्यायालय द्वारा निर्धारित निर्देशों की पूरी तरह से अवहेलना की और उक्त संपत्ति को ध्वस्त करने से पहले सुनवाई के लिए पूर्व सूचना या अवसर प्रदान करने में विफल रहे। हालांकि इसका स्वामित्व याचिकाकर्ता के पास है और 19.11.2013 के एग्रीमेंट डीड और डिक्री द्वारा इसकी पुष्टि की गई है।"

आरोप के अनुसार, प्रतिवादी-अधिकारियों ने 21 जनवरी को याचिकाकर्ता की संपत्ति पर अतिक्रमण किया और कहा कि इसे तुरंत खाली किया जाए, क्योंकि यह पास के पशु चिकित्सालय की संपत्ति है। याचिकाकर्ता ने अधिकारियों को संबंधित कानूनी दस्तावेज दिखाए, लेकिन कोई फायदा नहीं हुआ। उन्होंने न्यायालय के 13 नवंबर के फैसले की ओर इशारा करते हुए कानूनी नोटिस भी दिया, जिसमें विध्वंस से पहले अनिवार्य प्रक्रियात्मक सुरक्षा उपाय निर्धारित किए गए। लेकिन इसका अनुपालन करने के बजाय प्रतिवादियों ने "माननीय न्यायालय के अधिकार की जानबूझकर अवहेलना की और अगले ही दिन यानी 22.01.2025 को लगभग 11:00 बजे उक्त संपत्ति को अवैध रूप से ध्वस्त कर दिया।"

याचिकाकर्ता का दावा है कि बिना किसी वैध नोटिस के ध्वस्तीकरण किया गया और न्यायालय के 13 नवंबर के निर्देशों का स्पष्ट उल्लंघन किया गया। उनका कहना है कि अगर इस तरह के घोर उल्लंघन को अनियंत्रित छोड़ दिया जाता है तो इससे न्यायालय के अधिकार में जनता का विश्वास खत्म हो जाएगा।

आगे कहा गया,

"उक्त विध्वंस प्रशासनिक चूक नहीं है, बल्कि अवज्ञा का सुनियोजित कार्य है, जिसने एक खतरनाक मिसाल कायम की है। इसके तहत सरकारी अधिकारियों ने इस माननीय न्यायालय के आदेशों की बेशर्मी से अवहेलना की। अगर इस तरह की घोर अवमानना ​​को अनियंत्रित छोड़ दिया जाता है तो यह इस माननीय न्यायालय के अधिकार में जनता के विश्वास को खत्म कर देगा और आगे अराजकता को बढ़ावा देगा।"

केस टाइटल: पुख राज बनाम प्रताप सिंह और अन्य, कॉन्म.पी.ई.टी.(सी) संख्या 112/2025 में डब्ल्यू.पी.(सी) संख्या 295/2022

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