चुनाव संचालन नियमों केद्र सरकार को राहत, जावब देने के लिए सुप्रीम कोर्ट ने दिया समय बढ़ाया

Update: 2025-04-18 04:23 GMT
चुनाव संचालन नियमों केद्र सरकार को राहत, जावब देने के लिए सुप्रीम कोर्ट ने दिया समय बढ़ाया

सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार और भारत के चुनाव आयोग (ECI) को चुनाव संचालन नियम 1961 में हाल ही में किए गए संशोधन को चुनौती देने के लिए अपना जवाब दाखिल करने के लिए दो सप्ताह का समय दिया। बता दें कि चुनाव संचालन का उक्त नियम मतदान फुटेज और रिकॉर्ड तक सार्वजनिक पहुंच को प्रतिबंधित करता है।

कोर्ट ने यह भी स्पष्ट किया कि मौजूदा याचिका हाईकोर्ट को हाल ही में किए गए चुनाव संशोधनों को चुनौती देने वाली किसी भी याचिका पर निर्णय लेने से नहीं रोकेगी।

चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया (सीजेआई) संजीव खन्ना और जस्टिस संजय कुमार की खंडपीठ राज्यसभा सांसद और कांग्रेस नेता जयराम रमेश द्वारा दायर जनहित याचिका (PIL) पर सुनवाई कर रही थी, जिसमें चुनाव संचालन नियम 1961 में हाल ही में किए गए संशोधन को इस आधार पर चुनौती दी गई कि यह मतदान के सीसीटीवी फुटेज और अन्य प्रासंगिक रिकॉर्ड के सार्वजनिक प्रकटीकरण को प्रतिबंधित करता है।

कोर्ट ने पहले इस मुद्दे पर केंद्र और चुनाव आयोग से जवाब मांगा था।

गुरुवार को हुई सुनवाई के दौरान चुनाव आयोग की ओर से पेश हुए सीनियर एडवोकेट मनिंदर सिंह ने जवाब दाखिल करने के लिए दो सप्ताह का अतिरिक्त समय मांगा। खंडपीठ ने अतिरिक्त समय दिया और किसी भी तरह का जवाब दाखिल करने की अनुमति भी दी।

एक हस्तक्षेपकर्ता ने यह भी कहा कि वर्तमान याचिका के कारण कई हाईकोर्ट हाल के संशोधनों को चुनौती देने वाली रिट याचिकाओं पर निर्णय नहीं ले पाएंगे।

इस पर चीफ जस्टिस ने स्पष्ट किया,

"हम स्पष्ट करते हैं कि वर्तमान याचिका के लंबित रहने से हाईकोर्ट में दायर की गई रिट याचिकाओं पर कोई असर नहीं पड़ेगा।"

वर्तमान जनहित याचिका चुनाव संचालन नियम (चुनाव पत्रों का उत्पादन और निरीक्षण) के नियम 93(2)(ए) में संघ के संशोधन की वैधता को चुनौती देती है।

हालांकि, केंद्र सरकार नियम में वर्तमान संशोधन करने से पहले इस नियम में कहा गया था कि "चुनाव से संबंधित अन्य सभी कागजात सार्वजनिक निरीक्षण के लिए खुले होंगे।"

संशोधन के बाद हुए प्रावधान में कहा गया है कि "चुनाव से संबंधित इन नियमों में निर्दिष्ट अन्य सभी कागजात सार्वजनिक निरीक्षण के लिए खुले नहीं होंगे।"

इससे पहले की सुनवाई में जयराम रमेश की ओर से पेश सीनियर एडवोकेट एएम सिंघवी ने कहा कि मीडिया में केंद्र सरकार द्वारा बताए गए इस तरह के संशोधन का कारण यह सुनिश्चित करना है कि मतदाताओं की पहचान उजागर न हो। उन्होंने इस बात पर प्रकाश डाला कि ऐसा नहीं है कि पहले मतदाताओं की निजता का उल्लंघन किया जा रहा था।

रिटर्निंग ऑफिसर की पुस्तिका 2023 में मतदान केंद्रों के सीसीटीवी फुटेज (खंड 19.10), परिणाम फॉर्म की प्रतियां, प्रत्येक निर्वाचन क्षेत्र में दर्ज मतों के 17सी-लेखा की आपूर्ति सहित महत्वपूर्ण चुनाव दस्तावेजों और अभिलेखों के भंडारण और आपूर्ति की प्रक्रिया का विवरण दिया गया।

इस प्रकार संशोधन से पहले, सार्वजनिक निरीक्षण के लिए सीसीटीवी फुटेज और अन्य चुनावी अभिलेखों की आपूर्ति संभव थी।

इस मामले की अगली सुनवाई अब जुलाई में होगी।

केस टाइटल: जयराम रमेश बनाम भारत संघ और अन्य। डब्ल्यू.पी.(सी) संख्या 18/2025

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