सुप्रीम कोर्ट ने 'राम सेतु' को राष्ट्रीय स्मारक घोषित करने की मांग करने वाली याचिका खारिज की
सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार (3 अक्टूबर) को उस याचिका को खारिज कर दिया जिसमें राम सेतु स्थल पर 'समुद्र में' कुछ मीटर/किलोमीटर तक दीवार बनाने की मांग की गई थी ताकि हर कोई इसके 'दर्शन' कर सके।
लखनऊ स्थित वकील अशोक पांडे के माध्यम से हिंदू पर्सनल लॉ बोर्ड द्वारा भारत के संविधान के अनुच्छेद 32 के तहत दायर रिट याचिका के रूप में दायर याचिका में प्राचीन स्मारकों और पुरातत्व स्थलों और अवशेष अधिनियम, 1958 में परिभाषित राम सेतु को राष्ट्रीय स्मारक घोषित करने की भी प्रार्थना की गई है।
जस्टिस संजय किशन कौल और जस्टिस सुधांशु धूलिया की पीठ से याचिकाकर्ता ने अनुरोध किया कि इस याचिका को डॉ. सुब्रमण्यम स्वामी द्वारा 'राम सेतु' को राष्ट्रीय विरासत का दर्जा देने की मांग वाली लंबित याचिका के साथ टैग किया जाए। हालांकि पीठ ने यह कहते हुए ऐसा करने से स्पष्ट रूप से इनकार कर दिया कि यह एक प्रशासनिक मामला है और याचिकाकर्ता को इसके बजाय सरकार से संपर्क करना चाहिए।
जस्टिस कौल ने सवाल किया कि अगर सुब्रमण्यम स्वामी की याचिका लंबित है तो एक और याचिका की आवश्यकता क्या है। जज ने पूछा, " आप क्या चाहते हैं ?"
जब वकील ने अपनी उपरोक्त याचिका पढ़ी तो जस्टिस कौल ने पूछा: " अदालत दीवार बनाने का निर्देश कैसे दे सकती है? ये प्रशासनिक मामले हैं।"
तब याचिकाकर्ता ने याचिका को डॉ. स्वामी की याचिका के साथ टैग करने का अनुरोध किया।
पीठ ने कहा,
“ नहीं, हम इसे नहीं जोड़ रहे हैं… हम याचिकाकर्ता द्वारा मांगे गए किसी भी निर्देश देने के लिए भारत के संविधान के अनुच्छेद 32 के तहत हस्तक्षेप करने के इच्छुक नहीं हैं। खारिज की जाती है।”
राम सेतु को राष्ट्रीय धरोहर घोषित करने की मांग का मुद्दा स्वामी ने सेतु समुंद्रम शिप चैनल परियोजना के खिलाफ 2007 में अपनी याचिका में उठाया था। सेतु समुंद्रम परियोजना के तहत व्यापक ड्रेजिंग द्वारा मन्नार और पाक जलडमरूमध्य को जोड़ने वाला 83 किमी लंबा चैनल बनाया जाना था। इस प्रोजेक्ट का असर राम सेतु पर पड़ने का आरोप लगाया गया था। इस मामले का उल्लेख पहले भी डॉ. स्वामी कई मौकों पर कर चुके हैं।
इससे पहले भारत के सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने भी सुप्रीम कोर्ट को सूचित किया था कि संस्कृति मंत्रालय में 'राम सेतु' को राष्ट्रीय विरासत का दर्जा देने पर विचार करने की प्रक्रिया चल रही है।
राम सेतु एक पुल है जो तमिलनाडु के दक्षिण-पूर्वी तट पर चूना पत्थर की चट्टानों की एक श्रृंखला है। यह तमिलनाडु में रामेश्वरम के पास पंबन द्वीप से श्रीलंका के उत्तरी तट पर मन्नार द्वीप तक चलती है। इस पुल का उल्लेख रामायण में मिलता है जहां कहा जाता है कि इसका निर्माण भगवान राम ने सीता को बचाने के लिए लंका तक पहुंचने के लिए किया था।
केस टाइटल : हिंदू पर्सनल लॉ बोर्ड के प्रेसिडेंट अशोक पांडे के माध्यम से याचिकाकर्ता-इन-पर्सन बनाम भारत संघ और अन्य, डायरी नंबर 12741-2023