सुप्रीम कोर्ट के सीपीआईओ ने आय से अधिक संपत्ति का आरोप लगाते हुए जस्टिस हेमंत गुप्ता के खिलाफ की गई शिकायत पर उठाए गए कदमों के बारे में आरटीआई सूचना देने से इनकार किया

Update: 2022-11-30 04:40 GMT

सुप्रीम कोर्ट

सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) के केंद्रीय लोक सूचना अधिकारी (सीपीआईओ) ने सुप्रीम कोर्ट के पूर्व जज जस्टिस हेमंत गुप्ता पर आय से अधिक संपत्ति के आरोप के मामले में भारत के पूर्व मुख्य न्यायाधीश जेएस खेहर को 2017 में प्राप्त एक पत्र के संबंध में उठाए गए कदमों पर सूचना के अधिकार (आरटीआई) अधिनियम के तहत जानकारी देने से इनकार कर दिया है।

कैंपेन फॉर ज्यूडिशियल एकाउंटेबिलिटी एंड रिफॉर्म्स (सीजेएआर) ने तत्कालीन सीजेआई खेहर को पत्र लिखकर आरोप लगाया था कि जस्टिस गुप्ता के खिलाफ आय के ज्ञात स्रोतों से अधिक संपत्ति अर्जित करने के गंभीर आरोप हैं।

ऐसा आगे आरोप लगाया गया कि जस्टिस गुप्ता मनी लॉन्ड्रिंग के आरोपों के लिए अपनी पत्नी के खिलाफ चल रही जांच को प्रभावित कर रहे थे, बिक्री के लिए जाली समझौते बनाकर अवैध रूप से संपत्तियां अर्जित कर रहे थे, स्टांप शुल्क से बचने, विशिष्ट प्रदर्शन के लिए सांठगांठ का मुकदमा दायर करने और लेयरिंग के लिए शेल कंपनियों के माध्यम से लेनदेन कर रहे थे।

25 अक्टूबर, 2022 को वकील अमृतपाल सिंह खालसा ने एक आरटीआई आवेदन दायर कर उक्त पत्र पर की गई कार्रवाई की प्रमाणित फोटो कॉपी मांगी। आरटीआई आवेदन में उस अधिकारी का नाम और पदनाम भी मांगा गया था जिसने मामले में प्रतिनिधित्व संभाला था।

सीपीआईओ (अजय अग्रवाल, अतिरिक्त रजिस्ट्रार) ने आवेदन का जवाब देते हुए कहा कि सीपीआईओ, सुप्रीम कोर्ट बनाम सुभाष चंद्र अग्रवाल में सुप्रीम कोर्ट के फैसले में उल्लिखित ट्रायल के मद्देनजर आवेदक द्वारा मांगी गई जानकारी प्रदान नहीं की जा सकती है। उक्त निर्णय न्यायपालिका की स्वतंत्रता, आनुपातिकता, प्रत्ययी संबंध, निजता के अधिकार पर आक्रमण और गोपनीयता के कर्तव्य के उल्लंघन से संबंधित है।

आरटीआई अधिनियम की धारा 8 (1) (ई) और (जे) और 11 (1) के मद्देनजर मांगी गई सूचना तीसरे पक्ष की सूचना भी थी। सीपीआईओ ने प्रावधान किया है कि आवेदक के पास जवाब प्राप्त होने के 30 दिनों के भीतर इस जवाब के खिलाफ प्रथम अपीलीय प्राधिकारी के पास अपील करने का विकल्प है।


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