सुप्रीम कोर्ट ने आरोपी और पीड़ित की बहन के बीच शादी का संज्ञान लेते हुए हत्या के प्रयास के दोषी की सज़ा कम की
सुप्रीम कोर्ट ने हाल ही में भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की धारा 307 के तहत हत्या के प्रयास के अपराध से जुड़े एक मामले में आरोपी की सज़ा इस तथ्य पर ध्यान देते हुए कम कर दी कि आरोपी और पीड़ित की बहन ने शादी कर ली। आरोपी ने सुप्रीम कोर्ट के समक्ष आवेदन दायर कर अपराध के कंपाउंडिंग की मांग की थी।
जस्टिस बीआर गवई और जस्टिस हिमा कोहली की पीठ ने अपराध की सज़ा कम करने के लिए संविधान के अनुच्छेद 142 के तहत शक्तियों का इस्तेमाल किया।
आरोपी को आईपीसी की धारा 307 सहपठित धारा 149 के तहत अपराध के लिए सजा सुनाई गई थी। हाईकोर्ट ने उसकी सजा को घटाकर तीन साल की कैद कर दी थी।
सुप्रीम कोर्ट के समक्ष अपील लंबित होने के दौरान एक आरोपी और पीड़ित की बहन के बीच शादी हो गई।
सभी आरोपी और घायल सभी एक ही मोहल्ले के रहने वाले हैं। शांति लाने के लिए और सौहार्दपूर्ण ढंग से रहने के लिए आरोपी ने आवेदन दायर कर अपराध के कंपाउंडिंग की मांग की। अपीलकर्ता पहले ही 18 महीने से अधिक की सजा काट चुके हैं।
कोर्ट ने कहा,
"इस मामले के अजीबोगरीब तथ्यों और परिस्थितियों को देखते हुए खासकर जब घायलों और अभियुक्तों के परिवारों में विवाह हो गया है, हम इसे एक उपयुक्त मामला मानते हैं जिसमें यह न्यायालय भारत के संविधान के अनुच्छेद 142 के तहत अपनी शक्ति का प्रयोग कर सकता है।"
हाईकोर्ट द्वारा दी गई सजा की अवधि आरोपी पहले ही जेल में गुज़ार चुके हैं।
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