"जहां हैं वहीं रहें": COVID-19 के चलते लॉकडाउन से विदेशों में फंसे लोगों से मुख्य न्यायाधीश ने कहा, अभी वापस लाना संभव नहीं

Update: 2020-04-13 10:01 GMT

 COVID-19 लॉकडाउन के कारण विदेश में फंसे भारतीयों को निकालने की मांग करने वाली याचिकाओं के एक समूह पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने यात्रा पर केंद्र सरकार द्वारा लगाए गए प्रतिबंधों में हस्तक्षेप करने से इनकार कर दिया।

मुख्य न्यायाधीश एसए बोबडे, जस्टिस एल नागेश्वर राव और जस्टिस एम एम शांतनागौदर की पीठ ने सोमवार को लोगों से अपील की कि वे "जहां हैं वहीं रहें" और कहा कि उन्हें अभी वापस लाना संभव नहीं होगा।

"अन्य देशों के लोगों को अभी वापस नहीं लाया जा सकता है, " मुख्य न्यायाधीश बोबडे ने कहा।

सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को 7 याचिकाओं पर सुनवाई की, जिसमें ब्रिटेन, अमेरिका, ईरान और अन्य खाड़ी देशों में छात्रों, कामकाजी पेशेवरों, अकुशल श्रमिकों और मछुआरों व भारतीय नागरिकों को निकालने की आम प्रार्थना की गई।

इस दौरान सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने यह भी कहा कि इस संकट के दौरान लोगों को भारत वापस लाना असंभव है और उन्होंने संघ की ओर से पहले से दायर हलफनामे में इस रुख को दोहराया है।

मेहता ने कहा, "पूरी दुनिया में लोगों को वीजा एक्सटेंशन मिल रहे हैं। मेरे हलफनामे में मैंने स्पष्ट रूप से उल्लेख किया है कि अभी यह संभव नहीं है।"

दरअसल भारत में पूर्ण लॉकडाउन के बीच, केंद्र सरकार ने 26 मार्च, 2020 को अंतर्राष्ट्रीय उड़ानों पर प्रतिबंध को 14 अप्रैल तक बढ़ा दिया था। हालांकि, नागरिक उड्डयन मंत्रालय की एक नवीनतम सलाह के अनुसार मालवाहक उड़ानों या नागरिक उड्डयन महानिदेशालय (DGCA) द्वारा विशेष रूप से अनुमत प्रतिबंध लागू नहीं होंगे।

इससे पहले कि उक्त निर्णय को लागू किया जाता, सरकार ने 22 मार्च से 29 मार्च तक एक सप्ताह के लिए अंतरराष्ट्रीय उड़ानों पर प्रतिबंध लगा दिया था। घरेलू उड़ानों को पहले ही 31 मार्च, 2020 तक निलंबित कर दिया गया था।

इसके आलोक में, कई आवेदन थे, जो विभिन्न याचिकाकर्ताओं द्वारा दायर किए गए थे, जो अपने परिवार के सदस्यों, दोस्तों, सहयोगियों आदि के लिए राहत की मांग कर रहे थे, जो कि विदेशों में फंसे हुए हैं।  

Tags:    

Similar News