लॉकडाउन के दौरान राज्यों को होम डिलीवरी और / या अप्रत्यक्ष बिक्री के माध्यम से शराब बेचने पर विचार करना चाहिए : सुप्रीम कोर्ट की टिप्पणी 

Update: 2020-05-08 09:33 GMT

सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को मौखिक रूप से टिप्पणी करते हुए कहा कि कोरोना वायरस के चलते लॉकडाउन के दौरान  राज्यों को होम डिलीवरी और / या अप्रत्यक्ष बिक्री के माध्यम से शराब बेचने पर विचार करना चाहिए।

जस्टिस अशोक भूषण, जस्टिस, संजय किशन कौल और जस्टिस बीआर गवई की पीठ ने विभिन्न राज्य सरकारों  द्वारा शराब की दुकानें खोलने को चुनौती देने वाली याचिका पर सुनवाई करते हुए यह टिप्पणी की।

पीठ ने कहा कि अनुच्छेद 32 के तहत याचिका पर आदेश पारित करना संभव नहीं है और कहा कि राज्यों को सामाजिक दूरी को ध्यान में रखते हुए शराब बेचने के लिए अन्य व्यावहारिक विकल्पों पर विचार  करना चाहिए।

पीठ ने कहा, 

"हम कोई आदेश पारित नहीं करेंगे। राज्यों को सामाजिक दूरी बनाए रखने के लिए अप्रत्यक्ष बिक्री या शराब की होम डिलीवरी पर विचार करना चाहिए।"

एडवोकेट-ऑन-रिकॉर्ड अनिंदिता मित्रा द्वारा दायर याचिका में वकील साईं दीपक याचिकाकर्ता के लिए पेश हुए और उन्होंने कहा कि शराब की दुकानों के खुलने से "आम आदमी" के जीवन पर संकट  नहीं जाना चाहिए।

वकील साई दीपक ने कहा, 

" MHA  को इस संबंध में स्पष्टीकरण देना चाहिए, आम आदमी का जीवन प्रभावित नहीं होना चाहिए। याचिकाकर्ता ने आगे कहा कि मुद्दा यह था कि "शराब की कम दुकानें हैं, जहां खरीदार उपद्रव पैदा कर रहे हैं।" 

दरअसल भारत के संविधान के अनुच्छेद 32 के तहत ये याचिका "जनहित" में दायर की गई थी, जिसमें  प्रतिवादी भारत संघ द्वारा लॉकडाउन अवधि के दौरान सीधे संपर्क बिक्री के माध्यम से शराब की दुकानों पर  शराब की बिक्री के लिए जारी नई  COVID -19 दिशानिर्देशों को एक रिट, आदेश या निर्देश जारी असंवैधानिक और शून्य करार देने की मांग की गई थी। 

इसके अतिरिक्त, याचिकाकर्ता ने राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण या केंद्र द्वारा भारत को COVID -19 से मुक्त होने की घोषणा करने तक कोरोना के प्रसार को रोकने और नियंत्रित करने के लिए लॉकडाउन अवधि के दौरान सीधे संपर्क बिक्री के माध्यम से शराब की दुकानों पर मानव उपभोग के लिए  शराब की बिक्री पर प्रतिबंध लगाने के लिए निर्देश मांगे थे। 

कथित तौर पर, दिल्ली के कुछ हिस्सों में, 150 शराब की दुकानें खुलने से लोग लंबी लाइन लगाकर खड़े हो गए। अन्य राज्यों जैसे कर्नाटक और महाराष्ट्र में भी परिदृश्य समान था। 24 मार्च को राष्ट्रव्यापी लॉकडाउन की घोषणा के बाद पूरे भारत में शराब की दुकानें बंद हो गईं थीं और 4 मई को फिर से खोल दी गईं।

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