जमानत अर्जी खारिज करने के हाईकोर्ट के आदेश के खिलाफ विशेष अनुमति याचिका पर सुनवाई नहीं हो सकती: सुप्रीम कोर्ट

Update: 2022-02-07 10:25 GMT

सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि जमानत की अर्जी को खारिज किए जाने के हाईकोर्ट के आदेश के खिलाफ विशेष अनुमति याचिका पर विचार नहीं किया जा सकता।

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने आक्षेपित आदेश में अभियुक्त के वकील द्वारा किए गए निवेदन को दर्ज किया कि वह इस स्तर पर जमानत अर्जी पर सुनवाई नहीं करना चाहता और इसे वापस लिए जाने के रूप में खारिज किया जा सकता है। अत: आवेदन को वापस लेने के रूप में खारिज कर दिया गया। इस आदेश के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में एसएलपी दायर की गई।

याचिकाकर्ता द्वारा दायर आवेदन को खारिज कर दिया गया।

जस्टिस इंदिरा बनर्जी और जस्टिस जेके माहेश्वरी की पीठ ने कहा,

भारत के संविधान के अनुच्छेद 136 के तहत शक्ति के प्रयोग में इस न्यायालय द्वारा हस्तक्षेप का सवाल नहीं उठ सकता। आरोपी ने प्रस्तुत किया कि हाईकोर्ट के समक्ष उसके वकील ने उसके निर्देशों के बिना सबमिशन किया।

पीठ ने कहा,

"यदि ऐसा है तो उचित उपाय उस वकील के खिलाफ आवश्यक कार्रवाई करना है जिसने निर्देश के बिना इस तरह की याचिका दायर की। हालांकि यह ध्यान दिया जा सकता है कि आक्षेपित आदेश वकील के किसी भी प्रस्तुतीकरण को इस आशय का रिकॉर्ड नहीं करता कि उसके पास याचिकाकर्ता से याचिका पर दबाव नहीं डालने के लिए निर्देश थे। जैसा भी हो, इस विशेष अनुमति याचिका पर विचार करने का सवाल ही नहीं उठता।"

केस का नाम: संतो देवी बनाम यूपी राज्य

साइटेशन: 2022 लाइव लॉ (एससी) 133

केस नंबर | दिनांक: एसएलपी (सीआरएल) डायरी 1652/2022 | 31 जनवरी 2022

कोरम: जस्टिस इंदिरा बनर्जी और जस्टिस जेके माहेश्वरी

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