मुजफ्फरपुर शेल्टर होम : CBI ने सुप्रीम कोर्ट में दाखिल की स्टेटस रिपोर्ट कहा, अफसरों की घोर लापरवाही

Update: 2020-01-07 04:18 GMT

बिहार के मुजफ्फरपुर शेल्टर होम मामले में सीबीआई ने सुप्रीम कोर्ट में स्टेटस रिपोर्ट दाखिल कर कहा है कि उसने सभी 17 मामलों की जांच पूरी कर ली है, जिनमें से 13 मामलों में चार्जशीट दाखिल कर दी गई है, जबकि चार मामलों में कोई सबूत हासिल नहीं किए जा सके।

सीबीआई ने हलफनामे के जरिए सुप्रीम कोर्ट को बताया है कि बिहार में विभिन्न शेल्टर होम में बच्चों के उत्पीड़न को रोकने में सरकारी अधिकारी अपनी ड्यूटी निभाने में नाकाम रहे हैं। इसके साथ ही सीबीआई ने राज्य सरकार को पत्र लिखकर अनुरोध किया है कि बिहार सरकार को 25 जिलाधिकारियों और अन्य सरकारी अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई करनी चाहिए।

बिहार सरकार से आग्रह

इसके साथ ही सीबीआई ने बिहार सरकार से ये भी आग्रह किया है कि उन गैर सरकारी संस्थाओं के पदाधिकारियों के खिलाफ भी कार्रवाई की जाए जिनके नाम रिपोर्ट में हैं। दरअसल सीबीआई ने सात अन्य शेल्टर होम के लोगों के खिलाफ पिछले साल नवंबर-दिसंबर में चार्जशीट दायर की थी।

सीबीआई की इस रिपोर्ट में अधिकारियों की घोर लापरवाही को उजागर किया गया है। सीबीआई ने सुप्रीम कोर्ट में हलफनामा दाखिल कर कहा है कि मुख्य मामले में दिल्ली की साकेत कोर्ट आगामी 14 जनवरी को अपना फैसला सुना सकती है।

सीबीआई को मिला था तीन महीने का समय 

मुख्य मामले में पीपुल्स पार्टी के पूर्व विधायक बृजेश ठाकुर समेत अन्य आरोपी हैं। बृजेश ठाकुर द्वारा चलाए जा रहे बालिका शेल्टर होम में 40 से अधिक नाबालिग लड़कियों का यौन उत्पीड़न किया गया था। सीबीआई ने चार शेल्टर होम के खिलाफ अपनी प्रारंभिक जांच में किसी भी अपराध के सबूत नहीं पाए और इनके खिलाफ कोई FIR दर्ज नहीं की गई है।

गौरतलब है कि तीन जून 2019 को सुप्रीम कोर्ट ने बिहार के मुजफ्फरपुर शेल्टर होम मामले की जांच पूरी करने के लिए सीबीआई को तीन महीने का समय दिया था। पीठ ने सीबीआई को निर्देश दिया था कि वो इस मामले में मानव तस्करी और IT अधिनियम के तहत यौन कार्य की वीडियो रिकॉर्डिंग की जांच भी करे, जिसमें शेल्टर होम के अलावा बाहरी लोगों की भी संलिप्तता है। पीठ ने अप्राकृतिक यौन कृत्य में आईपीसी की धारा 377 के तहत भी सीबीआई को जांच के निर्देश दिए थे।  

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