सीपीसी की धारा 92 का प्रावधान ट्रस्ट के मुकदमे पर लागू नहीं होगा : सुप्रीम कोर्ट
सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि नागरिक प्रक्रिया संहिता (सीपीसी) की धारा 92 के तहत वर्णित प्रावधान ट्रस्ट द्वारा दायर मुकदमे पर लागू नहीं होगा।
इस मामले में, 'घाट तालाब कौलां वाला' ने चरण दास नामक व्यक्ति के जरिये मुकदमा दायर किया था। हाईकोर्ट ने व्यवस्था दी थी कि नागरिक प्रक्रिया संहिता, 1908 की धारा 92 के प्रावधानों को पूरा किये बिना मुकदमा जारी रखने योग्य नहीं है।
हाईकोर्ट के इस फैसले को अपीलकर्ता ने सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी थी। अपीलकर्ता की दलील थी कि हाईकोर्ट ने नागरिक प्रक्रिया संहिता की धारा 92 के मद्देनजर उसकी याचिका को जारी रखने योग्य न मानकर कानून की नजर में गलती की है, क्योंकि इस तरह का प्रावधान ट्रस्ट के खिलाफ अधिकार क्षेत्र के निर्धारण के लिए किया गया है।
अपीलकर्ता ने यह भी कहा था कि सीपीसी की धारा 92 किसी ट्रस्ट द्वारा दायर किये गये मुकदमे के संदर्भ में लागू नहीं होती।
न्यायमूर्ति एल नागेश्वर राव और न्यायमूर्ति हेमंत गुप्ता की पीठ ने अपीलकर्ता की इन दलीलों पर सहमति जताते हुए कहा,
" नागरिक प्रक्रिया संहिता की धारा 92 का प्रावधान ट्रस्टी को हटाने या नया ट्रस्टी नियुक्त करने अथवा किसी सम्पत्ति को ट्रस्टी में निहित करने के मामले में ट्रस्ट के खिलाफ दायर मुकदमे पर ही विचार करता है, लेकिन यह मामला खुद ट्रस्ट की ओर से सेवादार के खिलाफ किया गया है, इसलिए सीपीसी की धारा 92 के तहत वर्णित प्रावधान ट्रस्ट द्वारा दायर मुकदमे पर लागू नहीं होंगे। धर्मार्थ या धार्मिक प्रकृति के सार्वजनिक उद्देश्य के लिए बनाये गये किसी भी 'एक्सप्रेस' या 'कंस्ट्रक्टिव' ट्रस्ट के कथित विखंडन के मामले में सीपीसी की धारा 92 किसी व्यक्ति को अधिकार सौंपती है। चूंकि इस मामले में ट्रस्ट खुद ही वादी था इसलिए हाईकोर्ट का निर्णय स्पष्ट तौर पर त्रुटिपूर्ण है और कायम रखने योग्य नहीं है।"
मुकदमे का ब्योरा :-
केस का नाम : घाट तालाब कौंला वाला बनाम बाबा गोपाल दास चेला सूरती दास (मृत)
केस न. सिविल अपील नं. 724/2020
कोरम : न्यायमूर्ति एल नागेश्वर राव और न्यायमूर्ति हेमंत गुप्ता
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