धारा 138 एनआई एक्ट- अधिकतम पेंडेंसी वाले 5 राज्यों में चेक बाउंस मामलों के लिए रिटायर्ड जजों की अध्यक्षता में पायलट कोर्ट स्थापित करें: सुप्रीम कोर्ट

Update: 2022-05-19 06:11 GMT

सुप्रीम कोर्ट

सुप्रीम कोर्ट ने नेगोशिएबल इंस्ट्रूमेंट्स एक्ट की धारा 138 के तहत चेक बाउंस मामलों की पेंडेंसी को कम करने की दृष्टि से गुरुवार को अधिकतम पेंडेंसी वाले 5 राज्यों (महाराष्ट्र, राजस्थान, गुजरात, दिल्ली और उत्तर प्रदेश) के 5 जिलों में रिटायर्ड जजों की अध्यक्षता में पायलट अदालतों की स्थापना का निर्देश दिया।

जस्टिस एल नागेश्वर राव, जस्टिस बीआर गवई और जस्टिस एस रवींद्र भट की पीठ ने चेक ‌डिसऑनर के लंबित मामलों (एनआई एक्ट की धारा 138 के तहत मामलों के तेजी से ट्रायल के संदर्भ में) के निस्तारण के लिए पिछले साल सुप्रीम कोर्ट ने एक स्वत: संज्ञान मामले में कार्यवाही के लिए निर्देश पारित किया था।

पीठ ने आज कहा कि उसने एमिकस क्यूरी सीनियर एडवोकेट सिद्धर्थ लूथरा की ओर से पेश पायलट कोर्ट स्थापित करने के सुझाव को स्वीकार कर लिया है।

पीठ ने कहा,

"हमने पायलट अदालतों की स्थापना के संबंध में एमिकस क्यूरी के सुझावों को स्वीकार किया है और हमने समयसीमा भी दी है। यह 01.09.2022 से शुरू होने वाली है। इस अदालत के सेक्रेटरी जनरल यह सुनिश्चित करेंगे कि मौजूदा आदेश की एक कॉपी सीधे इन 5 हाईकोर्ट के रजिस्ट्रार जनरल को दी जाए, जो उसे तुरंत कार्रवाई के लिए चीफ जस्टिस के समक्ष रखेंगे। अनुपालन रिपोर्ट 21.07.2022 को या उससे पहले दायर की जानी चाहिए। आगे की कार्यवाही की समीक्षा के लिए 26.07.2022 को सूचीबद्ध किया जाए।"

एमिकस क्यूरी ने अपनी रिपोर्ट में कहा है-

"इस प्रकार यह सुझाव दिया जाता है कि हाईकोर्ट को इस उद्देश्य के लिए सेवानिवृत्त जजों की सेवाओं को इस्तेमाल करना चाहिए। इन अदालतों के संचालन के लिए आवश्यक मानव संसाधन भी अदालत के सेवानिवृत्त कर्मचारियों से लिए जा सकते हैं। इस योजना का परीक्षण सबसे अधिक पेंडेंसी वाले पांच राज्यों (महाराष्ट्र, राजस्थान, गुजरात, दिल्ली और उत्तर प्रदेश) के पांच जिलों में पायलट आधार पर किया जा सकता है।

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