यूपी सरकार ने सीएए प्रदर्शनकारियों नाम पते, पते वाले बैनर को हटाने के हाईकोर्ट के आदेश को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी, आज होगी सुनवाई

Update: 2020-03-11 13:10 GMT

सुप्रीम कोर्ट की अवकाश पीठ गुरुवार को इलाहाबाद हाईकोर्ट के 6 मार्च के फैसले के खिलाफ उत्तर प्रदेश राज्य द्वारा दायर विशेष अनुमति याचिका पर विचार करेगी।

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने लखनऊ में यूपी प्रशासन द्वारा शहर के चौराहों पर लगाए गए सीएए प्रदर्शनकारियों के नाम, पते और फोटो वाले बैनरों को हटाने का निर्देश दिया था। सीएए के खिलाफ विरोध प्रदर्शन के दौरान प्रदर्शनकारियों पर हिंसा करने का आरोप लगाया गया। इसके बाद इलाहाबाद हाईकोर्ट ने स्वत: संज्ञान लेते हुए यूपी प्रशासन को उक्त बैनर हटाने के निर्देश दिए थे।

इलाहाबाद हाईकोर्ट के इस फैसले को यूपी सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी है, जिसकी सुनवाई जस्टिस यू यू ललित और जस्टिस अनिरुद्ध बोस की पीठ गुरुवार को विचार करेगी।

उत्तर प्रदेश सरकार को झटका देते हुए इलाहाबाद हाईकोर्ट ने सोमवार को लखनऊ में यूपी पुलिस द्वारा लगाए गए सभी पोस्टरों और बैनरों को हटाने का आदेश दिया था। इन बैनरों में नागरिकता संशोधन अधिनियम (सीएए) के विरोध प्रदर्शन ले दौरान हिंसा फैलाने के आरोपी व्यक्तियों के नाम और फोटो वाले बैनर लगाए थे। न्यायालय ने इन्हें हटाने का आदेश दिया।

न्यायालय ने जिला मजिस्ट्रेट और पुलिस आयुक्त को 16 मार्च तक उच्च न्यायालय के रजिस्ट्रार जनरल को अनुपालन रिपोर्ट प्रस्तुत करने का भी निर्देश दिया था।

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने रविवार को एक विशेष बैठक में लखनऊ में नागरिकता संशोधन कानून (सीएए‌) के विरोध प्रदर्शन के दौरान हिंसा के आरोपी व्यक्तियों की तस्वीर और विवरणों वाले बैनर लगाने के लिए राज्य सरकार के अधिकारियों की खिंचाई की ।

मुख्य न्यायाधीश गोविंद माथुर और न्यायमूर्ति रमेश सिन्हा की पीठ ने कहा कि कथित सीएए प्रोटेस्टर्स के पोस्टर लगाने की राज्य की कार्रवाई "अत्यधिक अन्यायपूर्ण" है और यह संबंधित व्यक्तियों की पूर्ण स्वतंत्रता पर एक "अतिक्रमण" है। 

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