मुहर्रम का जुलूस : सुप्रीम कोर्ट ने याचिकाकर्ता को 5 लोगों के साथ सार्वजनिक जुलूस की अनुमति के लिए 28 राज्यों को पक्षकार बनाने को कहा

Update: 2020-08-25 12:30 GMT

सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को मुहर्रम का सार्वजनिक जुलूस निकालने के लिए शीर्ष अदालत की अनुमति लेने की याचिका पर सुनवाई की, जिसमें महामारी की स्थिति के मद्देनज़र केवल 5 लोगों के साथ मुहर्रम का सार्वजनिक जुलूस निकालने पर प्रकाश डाला गया।

मुख्य न्यायाधीश एसए बोबडे, जस्टिस ए एस बोपन्ना और जस्टिस वी रामासुब्रमण्यन की पीठ ने याचिकाकर्ता के अधिवक्ता वासी हैदर से कहा कि वह अपनी याचिका में 28 राज्यों को पार्टी बनाएं और केंद्र सरकार और राज्य सरकारों को निर्देश देने की मांग करें, जिसमें जुलूस को केवल एक सीमित क्षमता में होने दिया जाए। यानी केवल 5 लोग जुलूस में शामिल रहें।

पीठ ने कहा, "

जैसा कि प्रार्थना की गई, याचिकाकर्ता को याचिका में 28 राज्यों को उत्तरदाता पक्षकार के रूप में पेश करने की अनुमति है।"

हैदर ने प्रस्तुत किया कि अनुष्ठान हर साल किया जाता है और केवल यह पूछ रहे हैं कि 5 लोगों को इसमें शामिल होने की अनुमति दी जाए।

इस पर चीफ जस्टिस एसए बोबडे ने जवाब दिया "लेकिन COVID 19 हर साल नहीं आता।"

हैदर ने आगे कहा कि मुहर्रम के लिए आंध्र प्रदेश राज्य द्वारा COVID-19 महामारी को देखते हुए इसके अल्पसंख्यक कल्याण विभाग के प्रधान सचिव, मो इलियास रिज़वी ने दिशानिर्देश जारी करते हुए कहा "मुहर्रम (शहादत) के अंतिम दिनों (9वें और 10 वें दिन) को केवल मुजावर, मुथावली या प्रबंध समितियों द्वारा बिना किसी सार्वजनिक जुलूस निकाला जाना चाहिए।"

उन्होंने कहा कि इसमें केवल 4 दिन ही शेष हैं और इसके लिए अदालत की अनुमति अनिवार्य है।

मुख्य न्यायाधीश बोबडे ने हालांकि किसी भी आदेश को पारित करने से इनकार कर दिया, लेकिन कहा कि 28 राज्यों और संघ को याचिका में निहित नहीं किया गया है और वह कोई भी आदेश को पारित करने से पहले उन्हें पहले सुनना चाहेंगे।

मुख्य न्यायाधीश ने यह भी कहा कि अभी हाल ही में, उन्होंने लोगों को दादर, बायकला और चेंबूर के मंदिरों में एक सीमित क्षमता में प्रार्थना समारोह में प्रार्थना करने की अनुमति दी थी, लेकिन ऐसा इसलिए भी था क्योंकि महाराष्ट्र और संघ राज्य पीठ के समक्ष थे।

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