सुप्रीम कोर्ट ने DGP के खिलाफ जारी NBW के कर्नाटक हाईकोर्ट के फैसले पर रोक लगाई
सुप्रीम कोर्ट ने पुलिस उपाधीक्षक के तबादले से जुड़े एक मामले में राज्य के DGPऔर IGP के खिलाफ गैर जमानती वारंट ( NBW) जारी करने के कर्नाटक उच्च न्यायालय के आदेश पर रोक लगा दी है।
मुख्य न्यायाधीश एस ए बोबडे, जस्टिस बी आर गवई और जस्टिस सूर्यकांत की पीठ ने कर्नाटक सरकार और पुलिस प्रमुख, प्रवीण सूद की ओर से सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता द्वारा दलीलें देने के बाद यह आदेश पारित किया।
अदालत ने सूचीबद्ध मामलों की समाप्ति के बाद इस मुद्दे पर सुनवाई करने फैसला किया क्योंकि मेहता ने तत्काल सुनवाई की मांग की थी।
गौरतलब है कि हाई कोर्ट ने 18 फरवरी को कर्नाटक पुलिस के महानिदेशक सूद और पुलिस महानिरीक्षक के खिलाफ गैर-जमानती वारंट जारी किया था और 25 फरवरी को उन्हें अदालत में पेश करने का आदेश दिया था। ये आदेश सेवा से संबंधित मामले में विभाग की ओर से सहयोग की कमी के कारण दिए गए।
दरअसल हाईकोर्ट पुलिस उपाधीक्षक एस एस काशी द्वारा कर्नाटक राज्य प्रशासनिक ट्रिब्यूनल द्वारा 16 दिसंबर, 2019 के आदेश को चुनौती देने वाली याचिका पर सुनवाई कर रहा था, जिसमें CCB बेंगलुरु के लिए किए गए तबादले पर रोक लगाने से इनकार किया गया था।
KAT ने माना था कि संबंधित अधिकारी के पास किसी विशेष स्थान या पद पर तैनात होने का कोई निहित अधिकार या हित नहीं था।
सुप्रीम कोर्ट में दाखिल याचिका में यह तर्क दिया गया कि पुलिस प्रमुख को इस तथ्य के कारण कोर्ट नहीं जा सके क्योंकि
कि कर्नाटक विधानसभा के दोनों सदनों में मैंगलोर में पुलिस गोलीबारी की घटना के बारे में चर्चा पर वो फंस गए थे।
वो अपने अधिकारियों की टीम के साथ, संबंधित जानकारी प्रस्तुत करने में सरकार को मदद कर रहे थे ताकि वो विधानसभा में उत्तर दे सके।
I G (प्रशासन) जो स्वयं एक वरिष्ठ पुलिस अधिकारी है, पुलिस विभाग की ओर से व्यक्तिगत रूप से उपस्थित हुए थे।
जब तक पुलिस प्रमुख ने आवश्यक सूचना प्राप्त की और वो अदालत जाने के लिए तैयारी कर ही रहे थे कि तब तक उच्च न्यायालय ने गैर जमानती वारंट जारी किया और उठ गई।