सुप्रीम कोर्ट ने भरण-पोषण तय करने के लिए एक समान प्रारूप की मांग वाली जनहित याचिका पर केंद्र की प्रतिक्रिया मांगी

Update: 2019-10-15 05:40 GMT

सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को वैवाहिक विवादों में भरण-पोषण के लिए पारिवारिक न्यायालय के समक्ष पति और पत्नी द्वारा जानकारी का खुलासा करने के लिए एक समान प्रारूप तैयार करने के लिए दिशा-निर्देश मांगने वाली याचिका पर केंद्र की प्रतिक्रिया मांगी है।

जस्टिस इंदु मल्होत्रा ​​और जस्टिस आर सुभाष रेड्डी की पीठ ने सामाजिक न्याय मंत्रालय, महिला एवं बाल विकास मंत्रालय और राष्ट्रीय कानूनी सेवा प्राधिकरण को नोटिस जारी कर इस याचिका को भी एक अन्य समान याचिका के साथ टैग कर दिया।

मॉडल हलफनामे को अंतिम रूप देने के लिए सुझाव

शीर्ष अदालत ने इस मामले में एमिक्स क्यूरी के रूप में नियुक्त वरिष्ठ वकील गोपाल शंकरनारायण और अनीता शेनॉय से भी दोनों पक्षों द्वारा दिए जाने वाले मॉडल हलफनामे को अंतिम रूप देने के लिए उनके सुझाव देने के लिए कहा है, ताकि पति द्वारा पत्नी को भरण-पोषण की मात्रा निर्धारित की जा सके।

पीठ एनजीओ सिटीजन राइट्स ट्रस्ट द्वारा दायर जनहित याचिका पर सुनवाई कर रही थी, जो उसकी जनरल सेकेट्री और वकील स्नेहा कलिता के माध्यम से दायर की गई है। इसमें वैवाहिक विवादों में अपनी आय के स्रोत और अन्य प्रासंगिक विवरणों का खुलासा करने के लिए दोनों पति-पत्नी द्वारा शपथ पत्र दाखिल करने के लिए एक समान प्रारूप की मांग की गई है।

याचिका में की गई है यह मांग

"यह सम्मानपूर्वक प्रस्तुत किया जाता है कि देरी से बचने के लिए सभी वैवाहिक मामलों में कार्यवाही की सीमा पर दोनों पक्षों द्वारा एकरूप प्रारूप प्रस्तुत किया जा सकता है और इससे मुकदमे के दौरान रखरखाव तय करने में न्यायालयों को मदद मिलेगी।"

याचिका में कहा गया है कि ये योजना भरण पोषण और प्रत्येक मामले की योग्यता के अनुसार स्थायी गुजारा भत्ता देने में मदद करेगी। ये मामला चार सप्ताह के बाद सुनवाई के लिए आएगा।

याचिका में कहा गया है कि अदालतों के सामने दोनों पक्षों द्वारा हलफनामे के रूप में प्रासंगिक जानकारी और दस्तावेजों का खुलासा करने के लिए समान और मानकीकृत व्यापक चार्ट, वैवाहिक मामलों से संबंधित रखरखाव के आवेदनों की शीघ्र सुनवाई और निपटान के लिए सहायक होगा। 

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