जस्टिस अकिल कुरैशी की मप्र उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश नियुक्ति की सिफारिश पर केंद्र सरकार ने भेजा जवाब, कॉलेजियम लेगा फैसला
न्यायमूर्ति अकिल कुरैशी की मध्य प्रदेश उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश के रूप में नियुक्ति करने में देरी का विरोध करने वाली जनहित याचिका पर केंद्र सरकार के कानून मंत्रालय ने सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम को अपना जवाब भेज दिया है। बुधवार को सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि कॉलेजियम इस मुद्दे पर प्रशासनिक स्तर पर फैसला करेगा।
सुनवाई के दौरान मुख्य न्यायाधीश रंजन गोगोई, जस्टिस एस. ए. बोबडे और जस्टिस एस. अब्दुल नजीर की स्पेशल बेंच ने कहा कि मंगलवार शाम को ही एक संदेश कॉलेजियम को प्राप्त हुआ है।
पिछली सुनवाई पर केंद्र सरकार ने मांगा था 7 दिन का वक़्त
मामले की पिछली सुनवाई पर केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट को यह बताया था कि वो इस संबंध में एक सप्ताह में फैसला लेगी और सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम को इसकी जानकारी दे देगी। इस दौरान सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा था कि इस मामले में केंद्र को 7 दिन और चाहिए और फिर न्यायमूर्ति अकिल कुरैशी पर फैसला लेकर कॉलेजियम को सूचना दे दी जाएगी।
इसके बाद पीठ ने केंद्र को एक सप्ताह का समय देते हुए कहा कि कॉलेजियम को केंद्र का जवाब मिलने के बाद इस मुद्दे को सूचीबद्ध किया जाएगा। वहीं इससे पहले मामले की सुनवाई में तुषार मेहता ने पीठ को यह बताया था फिलहाल सिफारिश विचाराधीन है और फिलहाल संसद का सत्र चल रहा है।
"नहीं किया जा सकता कॉलेजियम की सिफारिश को ओवरराइड"
मामले में गुजरात के वकीलों की ओर से वरिष्ठ वकील फली नरीमन पेश हुए थे और उन्होंने मुख्य न्यायाधीश रंजन गोगोई की पीठ के समक्ष कहा था कि केंद्र द्वारा कॉलेजियम की सिफारिश को ओवरराइड नहीं किया जा सकता है। नियुक्ति के संबंध में केंद्र ने कम से कम उच्च न्यायालय के कॉलेजियम से परामर्श किया है या नहीं, इसकी जानकारी नहीं है। नरीमन ने यह भी तर्क दिया था कि प्रक्रिया के तहत राज्य, न्यायिक नियुक्ति के लिए सिफारिश के संबंध में "केवल एक गौरवशाली संचार माध्यम" है।
अदालत मामले को सुनने के लिए हुआ था तैयार
इससे पहले बीते 15 जुलाई को इस जनहित याचिका पर सुप्रीम कोर्ट सुनवाई के लिए तैयार हो गया था। मुख्य न्यायाधीश रंजन गोगोई ने याचिकाकर्ता गुजरात हाई कोर्ट एडवोकेट्स एसोसिएशन को याचिका की प्रति सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता को देने के निर्देश दिए थे और SG को इस मामले में कोर्ट की सहायता करने को कहा था।
दरअसल ये सिफारिश सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम ने 10 मई को की थी। ये सिफारिश भी कॉलेजियम द्वारा उसी दिन की गई जिसके द्वारा न्यायमूर्ति डी. एन. पटेल की दिल्ली उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश के रूप में नियुक्ति को केंद्र द्वारा अधिसूचित किया गया है।
याचिका में कही गयी बातें
याचिका में यह कहा गया है कि न्यायमूर्ति पटेल के प्रस्ताव पर केंद्र ने 2 सप्ताह के भीतर कार्रवाई की और उन्होंने दिल्ली उच्च न्यायालय के CJ के रूप में कार्यभार संभाल लिया जबकि न्यायमूर्ति कुरैशी की फाइल को लंबित रखा गया है। इस बीच केंद्र ने 7 जून को न्यायमूर्ति रवि शंकर झा को मध्यप्रदेश हाई कोर्ट के कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश के रूप में नियुक्त कर दिया था।
याचिका में की गयी मांग
याचिका में केंद्र सरकार को जस्टिस कुरैशी की नियुक्ति के निर्देश देने का अनुरोध किया गया है। न्यायमूर्ति कुरैशी की फाइल की उपेक्षा को याचिका में उजागर करते हुए यह कहा गया है कि केंद्र द्वारा 10 मई के बाद न्यायिक नियुक्तियों की 18 फाइलों को मंजूरी दी गई है।
जस्टिस कुरैशी के बॉम्बे हाईकोर्ट स्थानांतरण का भी हो चुका है विरोध
बार के विरोध के बीच गुजरात उच्च न्यायालय के वरिष्ठ न्यायाधीश न्यायमूर्ति कुरैशी को पिछले साल अक्टूबर में बॉम्बे उच्च न्यायालय में स्थानांतरित कर दिया गया था। इसके बाद गुजरात हाईकोर्ट एडवोकेट्स एसोसिएशन ने एक प्रस्ताव पारित किया था जिसमें न्यायमूर्ति कुरैशी के इस स्थानांतरण का विरोध किया गया था।
गौरतलब है कि जीएचसीएए के अध्यक्ष वरिष्ठ वकील यतिन ओझा ने न्यायमूर्ति कुरैशी के स्थानांतरण पर अनिश्चितकालीन हड़ताल का सहारा लेने के बार के फैसले की घोषणा की थी। हालांकि CJI रंजन गोगोई द्वारा एसोसिएशन के प्रतिनिधियों से मुलाकात करने के बाद इसे वापस ले लिया गया था।