सुप्रीम कोर्ट ने फैसला अपलोड करने में अत्यधिक देरी को लेकर इलाहाबाद हाईकोर्ट के रजिस्ट्रार जनरल से कारण बताने को कहा

Update: 2020-11-03 05:44 GMT

सुप्रीम कोर्ट ने वेबसाइट पर फैसला अपलोड करने में अत्यधिक देरी को लेकर इलाहाबाद हाईकोर्ट के रजिस्ट्रार जनरल से इसका कारण बताने को कहा है।

एक विशेष अनुमति याचिका (एसएलपी) की सुनवाई के दौरान वकील ने न्यायमूर्ति संजय किशन कौल की अध्यक्षता वाली खंडपीठ को अवगत कराया कि संबंधित फैसला छह नवम्बर 2019 को सुनाया गया था, लेकिन इसे हाईकोर्ट की वेबसाइट पर मई, 2020 में अपलोड किया गया था।

बेंच ने कहा,

"हमें कारण बतायें कि वेबसाइट पर फैसला अपलोड किये जाने में इतनी अधिक देरी क्यों हुई तथा इसकी रिपोर्ट तीन सप्ताह के भीतर पेश की जाये।"

खंडपीठ में न्यायमूर्ति हृषिकेश रॉय भी शामिल थे। एसएलपी की सुनवाई के दौरान वकील ने दलील दी कि दोनों पक्ष 13 साल से अलग-अलग रह रहे हैं और शादी वैसे मुकाम पर पहुंचकर बिखर चुकी है, जहां से दोनों का फिर से साथ रहना मुमकिन नहीं है। इसके बाद कोर्ट ने नोटिस भी जारी किया।

पिछले माह न्यायमूर्ति कौल की अध्यक्षता वाली एक बेंच ने एक साल से अधिक की देरी से वेबसाइट पर फैसला अपलोड करने के बारे में जानकारी मिलने के बाद पटना हाईकोर्ट के रजिस्ट्रार जनरल से कारण बताने को कहा था।

पिछले सप्ताह, एक अन्य मामले में, बेंच ने सभी हाईकोर्ट को याद दिलाया था कि फैसले की डिलीवरी में देरी भारतीय संविधान की धारा 21 के तहत जीवन के मौलिक अधिकार का उल्लंघन है। तब कोर्ट को पता चला था कि संबंधित फैसले का केवल ऑपरेटिव पार्ट 21 जनवरी 2020 को सुनाया गया था और फैसले का कारण नौ माह की देरी से नौ अक्टूबर 2020 को प्रकाशित किया गया था।

केस का नाम : सुरेन्द्र प्रताप सिंह बनाम विश्वराज सिंह

[एसएलपी (सिविल) डायरी नंबर 18912 / 2020]

कोरम : न्यायमूर्ति संजय किशन कौल एवं न्यायमूर्ति हृषिकेश रॉय

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