सुप्रीम कोर्ट ने व्यापम घोटाले के आरोपी को पढ़ाई करने के लिए विदेश जाने की अनुमति दी कहा, 1.26 करोड़ रुपए जमा कराएं

Update: 2019-12-07 10:44 GMT

सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को व्यापम घोटाले के आरोपी संतक वैद्य को आगे की पढ़ाई के लिए विदेश यात्रा करने की अनुमति दे दी, लेकिन साथ ही यह शर्त रखी कि वह ट्रायल कोर्ट में 1.26 करोड़ रुपये का फिक्स्ड डिपॉजिट करे और अपने पिता से यह सुनिश्चित करवाए कि वह सुनवाई के लिए पेश होगा।

न्यायमूर्ति दीपक गुप्ता और न्यायमूर्ति सूर्यकांत की पीठ ने कहा कि यह सही है कि याचिकाकर्ता पर गंभीर अपराध का आरोप है, लेकिन साथ ही हमें यह भी ध्यान रखना है कि वह एक युवा है और विदेश में अपनी पढ़ाई करना चाहता है।

अदालत ने याचिकाकर्ता से यह भी कहा कि वह जांच के लिए एक हलफनामा दायर करे, जिसमें यह कहा जाए कि जब भी आवश्यक होगा, वह जांच के लिए उपस्थित होगा।

यह था मामला

2013 में भोपाल में एफआईआर दर्ज की गई थी, जिसमें आरोप लगाया गया था कि एमपी व्यावसायिक परीक्षा बोर्ड, जिसे व्यापम के रूप में जाना जाता है, उसने स्कैनिंग के समय कुछ उम्मीदवारों की ओएमआर उत्तर पुस्तिकाओं में एमबीबीएस पाठ्यक्रम में छात्रों के प्रवेश को सुविधाजनक बनाने के उद्देश्य से छेड़छाड़ और जालसाज़ी पाई थी।

वैद्य आरोपियों में से एक है, जिन पर ओएमआर शीट के साथ छेड़छाड़ और जालसाजी के मामले और आईटी अधिनियम के तहत आरोपपत्र दायर किया गया है।

अदालत ने आरोपी को बायोटेक्नोलॉजी में मास्टर्स करने के लिए दो साल की अवधि के लिए ऑस्ट्रेलिया के मेलबर्न जाने की अनुमति देते हुए सीबीआई के इस तर्क पर ध्यान दिया कि याचिकाकर्ता के भारत वापस न आने की संभावना है। मामले की जांच अभी भी जारी है और अनुमति मिलने पर याचिकाकर्ता को जांच से जोड़ना मुश्किल होगा तथा ट्रायल में देरी हो सकती है और याचिकाकर्ता दो साल तक मुकदमे का सामना करने के लिए उपलब्ध नहीं हो सकेगा।

अदालत ने कहा कि जांच के लिए उसकी मौजूदगी उपयुक्त दिशा-निर्देश पारित करके सुनिश्चित की जा सकती है। तदनुसार ये निर्देश दिए।

"याचिकाकर्ता को केवल तब ही विदेश जाने की अनुमति दी जाएगी, जबकि ऊपर उल्लिखित सभी अचल संपत्तियों की सुरक्षा प्रस्तुत करने के लिए याचिकाकर्ता के पिता उसकी उपस्थिति को सुनिश्चि करें और साथ ही रुपए 1,26,94,953 ट्रायल कोर्ट में जमा कराने की रसीद पेश करें।"

अदालत ने यह भी चेतावनी दी कि वैद्य जांच के लिए उपस्थित होने में विफल होने पर जमा राशि को ज़ब्त कर लिया जाएगा।

अदालत ने आरोपी के पिता को उसके स्वामित्व वाली संपत्तियों की सूची को रिकॉर्ड पर रखने के लिए कहा, ताकि विदेश यात्रा करने की अनुमति देने से पहले पर्याप्त सुरक्षा प्राप्त की जा सके। तदनुसार, उनके पिता ने अपनी चल और अचल संपत्ति का खुलासा करते हुए एक हलफनामा दायर किया था, जिसके आधार पर आदेश पारित किया गया।

अदालत ने सीबीआई से यह भी कहा कि वह उसे चार महीने में एक बार से ज्यादा पेश होने के लिए न बुलाए।

अदालत ने कहा,

"जब से वह विदेश में पढ़ रहा है, हम अनुरोध करते हैं कि सीबीआई उसे चार महीने में एक बार से ज्यादा न बुलाने की कोशिश करे और जो भी जांच होनी है, उसे बार-बार फोन करने के बजाय तीन-चार दिनों में एक बार किया जाए। याचिकाकर्ता उस समय उसकी उपस्थिति सुनिश्चित करनी चाहिए, जब जांच के लिए उसकी उपस्थिति आवश्यक हो। याचिकाकर्ता दो सप्ताह के भीतर ट्रायल कोर्ट के समक्ष इस आशय का हलफनामा दायर करेगा। "

याचिकाकर्ता का प्रतिनिधित्व एडवोकेट कार्तिक सेठ, शुभंकर सहगल और साहिल नागपाल ने किया।


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