सुप्रीम कोर्ट ने 10 दिनों के लिए एयर इडिया को अंतरराष्ट्रीय उड़ानों में मध्य सीट की बुकिंग की अनुमति दी

Update: 2020-05-25 06:35 GMT

 सोमवार को एक विशेष सुनवाई में सुप्रीम कोर्ट ने एयर इंडिया को 10 दिनों के लिए गैर-अनुसूचित अंतरराष्ट्रीय उड़ानों में मध्य सीट बुकिंग के साथ सेवा संचालित करने की अनुमति दी।

हालांकि, अदालत ने कहा कि उसके बाद के अंतरराष्ट्रीय अभियानों के लिए, एयर इंडिया को मध्य सीटों को खाली रखने के दिशा- निर्देशों का पालन करना चाहिए।

मुख्य न्यायाधीश एस ए बोबडे की अध्यक्षता वाली पीठ ने बॉम्बे हाईकोर्ट के 22 मई के आदेश के खिलाफ नागरिक उड्डयन मंत्रालय और एयर इंडिया द्वारा दायर याचिकाओं में आदेश पारित किया, जिसमें एयर इंडिया को अपनी अंतरराष्ट्रीय उड़ानों में मध्य सीटें खाली रखने का निर्देश दिया गया था।

पीठ ने आदेश दिया,

"हम मानते हैं कि एयर इंडिया को 10 दिनों के लिए केंद्र की सीट बुकिंग के साथ गैर-अनुसूचित उड़ानों को संचालित करने की अनुमति दी जाएगी। हालांकि, उसके बाद, एयर इंडिया बॉम्बे हाई कोर्ट के दिशा- निर्देशों के तहत गैर-अनुसूचित उड़ानों का संचालन करेगा ।"

पीठ ने सोमवार को ईद के दिन अवकाश होने के बावजूद विशेष सुनवाई की क्योंकि नागरिक उड्डयन मंत्रालय और एयर इंडिया, दोनों ने बॉम्बे हाईकोर्ट के दिशा- निर्देश के खिलाफ रविवार रात शीर्ष अदालत का दरवाजा खटखटाया था।

सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि यह अतिरिक्त सामान्य स्थिति पर ध्यान देने वाला आदेश पारित कर रहा है कि एयर इंडिया पहले ही विदेश में फंसे भारतीयों के लिए टिकट जारी कर चुका है।

"हम आम तौर पर हाईकोर्ट द्वारा पारित एक अंतरिम आदेश में हस्तक्षेप करने के लिए इच्छुक नहीं होंगे।"

सॉलिसिटर जनरल ने यात्रियों की भारी कठिनाई को इंगित किया है जो विदेशी धरती के हवाई अड्डों पर फंसे हुए हैं क्योंकि वे यात्रा के लिए एक वैध टिकट जारी कर चुके हैं।

मेहता के अनुसार, इससे बहुत चिंता और कठिनाइयों का सामना करना पड़ेगा। एक साथ यात्रा करने वाले परिवारों की योजनाएं बाधित हो गई हैं, अन्य चीजों के अलावा - परिवार के लोग जिनके पास मध्य सीटें हैं उन्हें उतार दिया जाएगा और पीछे छोड़ दिया जाएगा। 

बॉम्बे हाईकोर्ट ने कहा कि नागरिक उड्डयन महानिदेशक द्वारा 23 मार्च को जारी किए गए सर्कुलर में COVID-19 के खिलाफ एहतियात के तौर पर शारीरिक दूरी को लागू करने के लिए उड़ानों में मध्य की सीटों को खाली रखने के लिए अंतरराष्ट्रीय उड़ानों पर लागू किया गया था।

केंद्र और एयर इंडिया ने दावा किया कि 23 मार्च का परिपत्र केवल अनुसूचित वाणिज्यिक उड़ानों के लिए लागू था। यह भी तर्क दिया गया था कि परिपत्र को 22 मई को जारी एक परिपत्र के बाद बदल दिया गया था, जिसमें मध्य सीटों को खाली रखने के कोई दिशा- निर्देश नहीं हैं। बॉम्बे हाईकोर्ट ने कहा था कि 22 मई का सर्कुलर केवल घरेलू उड़ानों पर लागू था।

पीठ ने कहा,

''प्रथम दृष्टया यह प्रतीत होता है कि भारत सरकार द्वारा 23 मार्च 2020 को जारी सर्कुलर का मुख्य उद्देश्य यात्रियों की सुरक्षा और COVID 19 महामारी द्वारा निर्मित इस आपातकालीन स्थिति में उनके स्वास्थ्य की सुरक्षा करना था। इन परिस्थितियों में इस सर्कुलर की व्याख्या विदेशी यात्रियों और घरेलू यात्रियों के लिए अलग-अलग नहीं की जा सकती है। सर्वोपरि विचार इन यात्रियों के स्वास्थ्य और सुरक्षा का है, ताकि इस उद्देश्य को प्राप्त किया जा सके कि यात्रा करते समय वह कोरोना वायरस से संक्रमित ना हो पाएं।

प्रथम दृष्टया हम याचिकाकर्ता के लिए वकील द्वारा प्रस्तुत उन दलीलों से सहमत हैं कि जिन यात्रियों को मुख्य रूप से यूएसए और यूके से लाया गया है वो COVID 19 संक्रमित यात्री हो सकते हैं। हमारे प्रथम दृष्टया विचार में एयर इंडिया ने चेक-इन के समय सीट के आवंटन के दौरान दो सीटों के बीच एक सीट को खाली न रखकर सरकार के 23 मार्च, 2020 के का सर्कुलर उल्लंघन किया है।''

जस्टिस आर.डी धानुका और जस्टिस अभय आहूजा की खंडपीठ ने कमांडर देवेन वाई कनानी की तरफ से दायर याचिका पर सुनवाई की, जिसमें भारत सरकार द्वारा 23 मार्च, 2020 को को जारी किए सर्कुलर को आधार बनाया गया है। इस याचिका में आरोप लगाया है कि एयर इंडिया ने वंदे भारत मिशन के हिस्से के रूप में यूएसए से फंसे हुए यात्रियों को निकालने के दौरान बीच की सीट को खाली रखने के नियम का पालन नहीं किया। इस तरह सरकार के उक्त सर्कुलर का उल्लंघन किया गया है। 

Tags:    

Similar News